लाइलाज नहीं आंत का कैंसर, समय पर पता लग जाए तो हो सकता है इलाज

Update: 2019-02-04 10:30 GMT
फोटो- इंटरनेट 

लखनऊ। वैसे तो कैंसर का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं और सोचते हैं कि इस बीमारी का इलाज ही नहीं है, लेकिन कैंसर का पता जल्द लगने पर इसका इलाज संभव है।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कैंसर विभाग के विशेषज्ञ डॉ विजय कुमार ने कोलोरेक्टल कैंसर के बारे में जानकारी देते हुए बताया, "कोलोरेक्टल कैंसर जिसे आमतौर पर बड़ी आंत का कैंसर भी कहते हैं। ये कैंसर बड़ी आंत (कोलन) में या फिर रेक्टम में होता है। कोलोरेक्टल (कोलो से मतलब है बड़ी आंत और रेक्टल का मतलब है मलाशय रेक्टम से है) को पेट का कैंसर या बड़ी आंत का कैंसर भी कहते हैं।"

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ये कैंसर 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों में होता है। जल्द ही इसके लक्षणों को पहचान कर इसका इलाज हो जाए तो मरीज कि जान बचाई जा सकती है। इससे दुनिया भर में प्रतिवर्ष 655,000 मौतें होती हैं संयुक्त राज्य में कैंसर का यह चौथा सबसे सामान्य प्रकार है और पश्चिमी दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों का तीसरा प्रमुख कारण है।

लक्षण

इस कैंसर की शुरुआत में कमजोरी, थकान, सांस लेनी में तकलीफ, आंतो में परेशानी, दस्त/कब्ज की समस्या, मल में लाल या गहरा रक्त आना, वजन का कम होना, पेट दर्द, ऐंठन या सूजन जैसे लक्षण होते हैं।

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मुख्य कारण

ज्यादा रेड मीट, धूम्रपान, खानपान में फल और सब्जियों को न शामिल करना, फाइबर युक्त आहार न लेना, इस कैंसर के कारण हैं। वैसे इस कैंसर के कई कारण हैं लेकिन आज की अनियमित जीवनशैली और खाने की आदतें इसके होने की मुख्य वजहें हैं।

इस कैंसर का ट्यूमर चार चरणों से होकर गुजरता है, जिसमें ये बाउल की अंदरूनी लाइनिंग में शरू होता है। इलाज न होने पर ये कोलन के मसल वाल से होते हुए लिम्फ नोडस तक चला जाता है और आखिरी स्टेज में ये रक्त में मिलकर दूसरे अंगों में जैसे फेफड़ों, लीवर में फ़ैल जाता है और इस स्टेज को मेटास्टेटक कोलोरेक्टल कैंसर (एमसीआरसी) कहते हैं।

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इस कैंसर का इलाज पहले स्टेज पर हो जाता है तो 90 प्रतिशत तक, दूसरे स्टेज पर पता चलता है तो इसका इसका इलाज 70-80 प्रतिशत तक, तीसरे स्टेज पर 50-60 प्रतिशत तक, चौथे स्टेज पर इलाज 30-50 प्रतिशत तक इलाज संभव है।

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