शिक्षक मजबूरी में उठा रहे एमडीएम की जिम्मेदारी

Update: 2016-07-28 05:30 GMT
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लखनऊ। सरकार मात्र योजना की गिनती बढ़ाने के लिए एमडीएम योजना चला रही है तो वहीं नौकरी के तहत एमडीएम वितरित करने की जिम्मेदारी निभानी है इसलिए स्कूल प्रशासन एमडीएम वितरित करवा रहे हैं लेकिन स्कूल प्रशासन एमडीएम वितरित करवाये जाने की जिम्मेदारी निभाना नहीं चाहते।

एमडीएम की योजना हमेशा किसी न किसी वजह से विवादों में रहती ही है। कभी खाने की गुणवत्ता सही नहीं होती तो कहीं खाना पहुंचता ही नहीं, कहीं दूध तो कहीं फल नहीं मिल रहा है। और अब एक मामला यह भी है कि स्कूल प्रशासन एमडीएम वितरित करवाने की जिम्मेदारी को निभाना नहीं चाहते। 

इस बारे में कालीचरण इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. महेन्द्र नाथ राय कहते हैं “एमडीएम वितरित करवाना और यह सुनिश्चित करना कि खाना सही है या नहीं, इसमें बड़ी दिक्कतें सामने आती हैं। हर बार यह डर रहता है कि खाना खाने के बाद कहीं बच्चों को किसी तरह की समस्या न हो जाये। कारण यह है कि जो संस्थाएं खाना वितरित करती हैं वहां खाना बनाने में गंदगी जैसी समस्याएं सामने आती रहती है।

कई बार दूध और खाने के चलते बच्चों की तबियत खराब हो चुकी है इसलिए डर लगता है।” वहीं इस बारे में क्वीन्स इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य डा. आरपी मिश्र कहते हैं “सरकार तो बस बच्चों को खाना, ड्रेस और किताबें देने की मात्र औपचारिकता ही निभाती है। एक तो खाने की कनवर्जन कॉस्ट इतनी कम है उस पर संस्थाएं इसमें घालमेल करती रहती हैं। इसके चलते अच्छी गुणवत्ता का खाना बच्चों को नहीं मिल पाता है।

इसलिए बेहतर है कि केवल फल वितरण या सूखा नाश्ता ही बच्चों को वितरित किया जाये।” कस्तूरबा बालिका विद्यालय इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या जानकी नेगी कहती हैं “मैंने इसको भी बंद करवा दिया है। और संस्था को बोला है कि वह खाने की जगह सूखी चीजें बच्चों को दे दिया करें। क्योंकि खाना खाने से बच्चों की तबियत खराब हो जाती है तो इसके लिए शिक्षिका को भी जिम्मेदार बना दिया जाता है। जोकि गलत है”

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