श्रमिकों को मिले प्रतिदिन पांच सौ रुपए मजदूरी

Update: 2015-12-30 05:30 GMT
गाँव कनेक्शन

लखनऊ। कैसरबाग स्थित गांधी भवन में असंगठित कामगार अधिकार मंच ने सरकार से श्रमिकों के संबंध में कई मांगें की हैं।

राज्य स्तरीय कामगार सम्मेलन में मौजूद श्रम एवं संविदा सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष सत्य रुद्र प्रकाश ने बताया कि श्रमिकों के हालातों को देखते हुए उन्हें कम से कम प्रतिदिन पांच सौ रुपए मजदूरी दी जानी चाहिए। मजदूरों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए श्रम विभाग द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। असंगठित कामगार चाहे निर्माण मजदूर हों या रिक्शा चालक, पटरी दुकानदार या घरों में काम करने वाली महिलाएं, ये सब रात-दिन कठोर मेहनत करके अपने परिवार के पालन-पोषण के साथ महानगरों को भी तेज रफ्तार देने में अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए इन लोगों को एक पहचान देना सरकार की जिम्मेदारी है।

उन्होंने आगे बताया कि बढ़ते शहरीकरण और गाँवों से बढ़ते पलायन के कारण श्रमिक शहरों में आकर दयनीय दशाओं में रहने और काम करने को मजबूर हैं। ऐसे में उनकी पहचान और सामाजिक सुरक्षा की दिशा में सार्थक कदम उठाए जाए। कार्यक्रम में लखनऊ के श्रमिकों के अलावा कानपुर, गाजियाबाद, आगरा, वाराणसी, मेरठ से आए सैकड़ों श्रमिकों ने भाग लिया।  

ये थी मांगें

असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008 की नियमावली बनाकर उसे तत्काल लागू किया जाए।

घरेलू कामगारों के लिए अलग कानून बनाकर उनके श्रमिक अधिकार सुनिश्चित किए जाएं।

कामगारों की न्यूनतम मजदूरी 500 रुपए प्रतिदिन की जाए।

सभी मजदूर मंडियों का चिन्हीकरण करके पानी, शौचालय आदि सुविधाएं दी जाएं।

कामगारों के लिए मजदूर कॉलोनियां विकसित की जाएं।

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