समुद्री संपदाओं की निगरानी करेगा अमेरिकी ड्रोन

Update: 2016-06-23 05:30 GMT
gaon connection

वाशिंगटन (भाषा)। भारत ने हिंद महासागर में अपनी समुद्री संपदाओं के संरक्षण और निगरानी के लिए गश्ती ड्रोन खरीदने का मन बनाया है। इसके लिए अमेरिका को एक चिट्ठी लिखकर रिक्वेस्ट किया गया है। भारत की ओर से यह चिट्ठी पिछले हफ्ते भेजी गई।

हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की मुलाकात के बाद भारत को मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) में शामिल किया गया। अमेरिका ने उसे एक प्रमुख रक्षा साझीदार करार दिया। यह मोदी सरकार के उन लक्ष्यों का हिस्सा है, जो उसने समुद्री संपदाओं खासकर हिंद महासागर की संपदाओं को सुरक्षित करते और मुंबई हमले जैसी किसी भी घटना के बारे में पता करने के लिए तय किए हैं। सूत्रों ने बताया कि भारत ने इस चिट्ठी में अमेरिका के जनरल एटॉमिक्स से अत्याधुनिक मल्टी मिशन मेरीटाइम पैट्रोल प्रीडेटर गार्डियन यूएवी (मानवरहित यान) खरीदने की अनुमति मांगी है। इस यान के मिल जाने के बाद भारत को पूर्वी और पश्चिमी तट दोनों तरफ हिंद महासागर में अपनी समुद्री संपदाओं को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।

करीब पांच अरब डॉलर है लागत

व्हाइट हाउस में बीते सात जून को जारी भारत-अमेरिका ज्वॉइंट स्टेटमेंट का जिक्र करते हुए सूत्रों ने कहा कि दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय नियमों के मुताबिक नौवहन, समुद्री क्षेत्र के उपर उड़ान भरने और संसाधनों के दोहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के महत्व को दोहाराया। अनुमान के मुताबिक भारत अगले कुछ वर्षों में पांच अरब डॉलर से अधिक की लागत से 250 से अधिक यूएवी हासिल करने की आशा कर रहा है।

मोदी-ओबामा ने की थी ड्रोन पर चर्चा

इस महीने की शुरुआत में भारत को एमटीसीआर की सदस्यता मिल जाने के बाद अमेरिका ने इस प्रस्ताव पर गौर करना शुरू कर दिया है। माना जा रहा है कि वह अगले चरण में वह इसे स्वीकार करेगा। सूत्रों ने कहा, ‘इस महीने की शुरुआत में राष्ट्रपति ओबामा और प्रधानमंत्री मोदी ने समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में अमेरिका-भारत सहयोग के लिए अपना समर्थन जताया। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ओबामा के साथ ड्रोन के मुद्दे पर चर्चा की थी, जिस पर पॉजिटिव जवाब मिला।’

फुटबॉल जितनी छोटी चीजों की कर सकता है पहचान

यह गश्ती ड्रोन 50,000 फुट की उंचाई पर उड़ने की क्षमता रखता है। यह लगातार 24 घंटे से अधिक समय तक उड़ान भरकर समुद्री क्षेत्र में फुटबाल के बराबर की आकार की वस्तुओं पर भी बारीकी से नजर रख सकता है। भारत ने पहले भी अमेरिका से इस तरह के ड्रोन को खरीदने की दिलचस्पी दिखाई थी, लेकिन ओबामा प्रशासन इस आग्रह को आगे बढ़ाने में समर्थ नहीं था, क्योंकि भारत एमटीसीआर का सदस्य नहीं था।

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