इटावा। कहने को जनपद को अति विशिष्ठता का दर्जा हासिल है,लेकिन इसके बावजूद फायर सर्विस के पास संसाधनों का टोटा तो है ही बल्कि पर्याप्त कर्मचारी भी उपलब्ध नहीं हैं। यहां तक कि जनपद के मुख्यालय सहित चार फायर स्टेशनों में से दो तो अपने फायर टैंकर न होने के अभाव में अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जूझ रहे हैं।
फायर सर्विस सूत्रों के मुताबिक जनपद की फायर सर्विस के पास संसाधनों का खासा टोटा है। पर्याप्त संख्या में फायर टैंकर तो है ही नहीं बल्कि भरथना और चकरनगर के तो फायर टैंकरों को तो हादसे का शिकार होने के दुरुस्त ही नहीं कराया गया है। जनपद को अति विशिष्ठता का दर्जा हासिल है। यहां अक्सर वीवीआईपी के आगमन को मद्देनजर हैलीपेड पर हैलीकॉप्टर की सुरक्षा में भी फायर टैंकरों को लगाया जाता है। इन हालातों में यदि कोई बड़ा हादसा हो जाता है तो उससे निपट पाना काफी मुश्किल होता है।
फायर सर्विस सूत्रों के मुताबिक विभाग में कर्मचारियों की भी खासी कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए कई बार उच्चाधिकारियों से पत्र व्यवहार किए जा चुके हैं, परंतु उनके कोई सकारात्मक परिणाम हासिल नहीं हो सके हैं। वे बताते हैं कि सैफई फायर स्टेशन ही एकमात्र ऐसा फायर स्टेशन है जो अपने दायित्वों पर खरा उतरता है।
विषम परिस्थितियों में सैफई फायर स्टेशन से फायर टैंकरों की मांग की जाती है। सैफई में चूंकि अक्सर बड़े-बड़े आयोजन होते हैं। लिहाजा उच्चाधिकारियों का ध्यान सैफई पर ही टिका है। मुख्यालय पर महज दो फायर टैंकर और एक मिनी गाड़ी की ही उपलब्धता है। यदि दूरांचल में कोई अग्निकांड हो जाता है तो दमकलकर्मियों को पहुंचने में वक्त लगता है। जिसका क्षेत्रीय लोग दोष दमकलकर्मियों को देते हैं। इसके अलावा पानी की समय से उपलब्धता होना भी एक बड़ी चुनौती होती है।