सामाजिक मुद्दों पर सोचने को मज़बूर करतीं ये फेसबुक पोस्ट

Update: 2017-08-19 16:21 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर

फेसबुक पर दिनभर में तमाम लोग सामाजिक मुद्दों पर अपने विचार साझा करते हैं जिनमें से हम लेकर आए हैं आपके लिए कुछ चुनिंदा पोस्ट्स...

कृष्ण कांत

विज्ञान और गोबर ज्ञान का पारस्परिक संबंध होता है। विज्ञान किसे कहते हैं? गोमूत्रयुक्त, अफवाहयुक्त, अंधविश्वासयुक्त, गोबरबद्ध ज्ञान को हम विज्ञान कहते हैं। कोर्स बदलने की सख्त जरूरत है। अब तक जो पढ़ाया गया है, सब बकवास है।

विज्ञान उसे कहते हैं जो मनुष्य की सोचने समझने की शक्ति को दिव्यांग बनाकर उसे अफवाहबाज, गप्पबाज, गोबरबाज समाज में तब्दील कर दे ताकि मनुष्य मंत्र मारकर चीन को जीत लेने की सनक में जिंदा रहना शुरू कर दे।

भारत आदि काल से इसका पालन करता रहा है। गणेश जी ने दूध पिया, उसके बाद पोखरण परमाणु परीक्षण हो गया। अगर गणेश जी ने दूध पीने से इंकार किया होता तो कसम गाय माता की, पोखरण न होता। वाट्सअप यूनीवर्सिटी वाले कुछ विकृत संघी बताते हैं कि शिवलिंग के आसपास से विकिरण होता है। शिव जी के बेटे हैं गणेश जी। गणेश जी दूध पीकर प्रसन्न हुए और शिवजी से थोड़ी परमाणु शक्ति भारत सरकार को दिलवा दी।

गणेश जी का दूध पीना आधुनिक युग की शुरुआत थी। उसके पहले भी पेड़, पकड़िया, पाथर और चौडगरा पूजते आए हैं। परमाणु परीक्षण के बाद हमने अपनी शक्ति पहचान ली। उसके बाद तो मुंहनोचवा आया। मंकीमैन आया। फिर भारत ने चंद्रयान छोड़ दिया।

मुंहनोचवा और मंकीमैन, जिसे किसी ने देखा नहीं, उससे सैकड़ों महिलाएं पुरुष पीड़ित हुए। मंकीमैन हो सकता है हनुमान जी का अवतार रहा हो। उससे हिंदुस्तानियों को अपना बल याद आ गया और फिर भारत ने स्पेस में एक से एक उपलब्धियां हासिल कीं और भारत आईटी पॉवर बन गया।

इस बीच कभी समंदर का पानी मीठा हुआ, कभी चैनलों पर हनुमान रक्षा कवच बिकने लगा। फिर योगी के वेश में बबवा का अवतार हुआ। योगी बनकर आया बबवा पुत्र बीजकवटी चूरन बेचने लगा। योगा और प्राणायाम में ब्रम्हशक्ति का दावा करने वाला बाबा चूरन, चटनी, चावल, चाट सब बेचा। सिर्फ ब्रम्हशक्ति से तो जीवन चलता नहीं। पेटपूजा तो करनी होगी। तो ज्ञान भी बाबा का, सामान भी बाबा का। बाबा अभी भी योगी है, लेकिन अरबपति बन गया। सब मसालों को दवाई बताया, मिलावट की, मिसब्रांडिंग की, जुर्माना भरा, लेकिन बाबा की योगी इमेज पर कोई असर नहीं हुआ। आस्था, तथ्य और अफवाह की पंचमेल खिचड़ी से ही हिंदुस्तान चलता है।

टेलीविजन का आविष्कार हुआ तो पश्चिमी देशों ने इसे 20वीं सदी का सबसे महान वैज्ञानिक आविष्कार माना और वैज्ञानिक युग की शुरुआत हुई। यह हिंदुस्तान आया तो अपने शुरुआती बरसों में ही स्वर्ग की सीढ़ी, एलियन, रावण की कब्र खोजने लगा। इन्हीं चैनलों पर हजारों हजार अंधविश्वासी कहानियां प्रसारित हुईं। अब वह अफवाह भी फैलाने लगे हैं।

अफवाह युग की शुरुआत में ही नए नवेले संघी रमेश पोखरियाल निशंक ने भारतीय संसद में बताया कि पहला परमाणु परीक्षण महर्षि कण्व के आश्रम में हुआ था। फिर अभी भारत ने GSLVMK3 नाम का सबसे वजनी रॉकेट लॉन्च किया। उसके बाद संघ ने बताया कि गोबर से बंकर बनाया जा सकता है, गोमूत्र से कैंसर ठीक हो सकता है। एक मंत्राणी जी ने बताया कि गोमूत्र पीकर अलाने फलाने ढकाने अमरत्व को प्राप्त कर चुके हैं।

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इस बीच भारत सरकार ने 19 सदस्यों वाली गोमूत्र और गोबर समिति गठित कर दी है। गंगा के पानी में ब्रम्हतत्व की खोज के लिए शोध चल रहा है। गाय का गोबर सीमा पर बंकर बनाने काम में लाने पर विचार चल रहा है। मध्य प्रदेश में अस्पतालों में बाकायदा ज्योतिषियों की नियुक्ति का प्रस्ताव आ गया है।

इसी बीच, भारतीय प्रक्षेपणयान पीएसएलवी अब तक 48 भारतीय 209 विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित कर चुका है। चोटीकटवा उसके बाद की उपलब्धि है। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि हम साबित कर देंगे कि दुनिया एक खगोलीय परिघटना है। गोबरवादी पंडे कह रहे हैं वैज्ञानिकों, कितनी भी मेहनत करो, हम भारत को 500 साल पीछे ही रखेंगे।

अनुशक्ति सिंह

बहते मवेशियों के सिर, घर मे बचे अनाज का आखिरी डब्बा, लकड़ी के तैरते पटरे पर बसा अस्थायी नया घर... बिहार से उस तरह की तमाम तस्वीरें आ रही हैं जो दिल पर धड़ाम से लगती हैं। दु:खद यह है कि यह कहानी किसी एक साल की नहीं है। वही आपदा, वही ज़िंदगी का बह जाना, वही बाढ़ का रोना हर साल होता है।

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सरकार ऊपरी शोक मनाती है, फिर सब ख़त्म हो जाता है, पीड़ित सब भूल कर अगले साल की तैयारी में लग जाते हैं। यह है बिहार में कछार की जि़ंदगी जीना।

(कुसहा त्रासदी को 9 साल हुए)

नीता चंद्रा शुक्ला

बिहार में बाढ़ से भारी बर्बादी...

इस बार 1986 के बाढ़ का रिकॉर्ड ध्वस्त हो गया है। त्राहि त्राहि मची हुई है। राहत नाकाफी है। भारत नेपाल सीमा पर स्थित रक्सौल अनुमंडल समेत चंपारण का अधिकांश भाग नेपाल से निकलने वाली तिलावे, बंगरी, सरिसवा और गंडक समेत अन्य नदियों का जलस्तर अचानक बढ़ने से बाढ़ का संकट झेल रहा है। आस-पास के ग्रामीण इलाके पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं, शहर में भी पानी प्रवेश कर चुका हैं।

दीप नारायण अग्रवाल

बार्सेलोना स्पेन में टेरर अटैक हुआ है

एक वैन ने भीड़ में लोगों को कुचल डाला है 13 लोग मारे गए हैं।

बेदिमाग, धर्मांन्ध, पागल, क्या नाम इन्हें क्या नाम दिया जाए जो ये सब कर रहे हैं। ये अपने धर्म का भला नहीं कर रहे बल्कि उसको बुरा नाम दे रहे हैं। इन लोगों की समझ में क्यों नही आता कि इस प्रकार की हरकतें कर के वह दुनिया पर अपनी सोच नहीं थोप सकते हैं। आईएसआई का मोसुल और सीरिया से करीब करीब खात्मा हो गया है और भी विश्व में जितने आतंकवादी संगठन हैं वे विनाश की कगार पर हैं। उसके बाद भी ये अपनी मध्य युगीन सोच को क्यों नही बदल पा रहे हैं?

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दुनिया के सारे लोग और खास तौर से मुसलमान समुदाय आगे आओ और इन वहशियों को उनकी जगह दिखा दो। बहिष्कार करो उन सभी का और उनके परिवारों का जो किसी भी प्रकार के आतंकवादी संगठन से नाता रखते हैं।

बिहार में बाढ़ की असली तस्वीर दिखाती हैं ये फेसबुक पोस्ट्स

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