सोशल मीडिया पर प्रसारित वो फेक खबरें जिन्हें सब सच मान बैठे

आज कुछ ऐसी ही बड़ी घटनाओं के बारे में बता रहे हैं जिनमें फेक न्यूज ने बड़े-बड़े दंगे तक करा दिए...

Update: 2018-06-25 09:53 GMT

सोशल मीडिया पर आए दिन फेक खबरें आती रहती हैं, फोटोशॉप का का गलत इस्तेमाल कर फर्जी फोटो तो कहीं पर फर्जी वीडियो चलाए जाते हैं, इन सबसे कई बार दंगे तक हो गए हैं।

सोशल मीडिया के दुरुपयोग से भड़काऊ बयानों और हिंसक फोटो, वीडियो के साथ समाज को जाति और मजहब के नाम पर बांटा जाता है। इसीलिए गाँव कनेक्शन और फेसबुक ने हाथ मिलाया है, मोबाइल चौपाल के जरिए लोगों को बताया जाएगा फेक न्यूज से कैसे बचें, इंटरनेट सिक्योरिटी कैसे बरतें, कैसे अपने एककांउट का दुरुपयोग होने से बचाएं।

आज कुछ ऐसी ही बड़ी घटनाओं के बारे में बता रहे हैं जिनमें फेक न्यूज ने बड़े-बड़े दंगे तक करा दिए...

ईद पर पश्चिम बंगाल में पांच दिन की छुट्टी

पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही मैसेज वायरल हो रहा था, जिसमें पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से कहा गया था कि प्रदेश के गवर्नर ने ईद के मौके पर पांच दिन यानि 12 जून से 16 जून तक सभी संस्थानों में छुट्टियों का ऐलान किया है। इसके सबूत में सरकार के वित्त विभाग की ओर से जारी एक नोटिफिकेशन की कॉपी भी लगाई गई थी।



इस मैसेज में यह बताने की कोशिश की गई थी कि पश्चिम बंगाल की ममता बर्जी सरकार मुस्लिम परस्त है और ऐसा मुस्लिम वोट बैंक की खातिर किया जा रहा है। बहुत से लोगों ने इस पर भरोसा भी कर लिया। हैरानी की बात है कि राजस्थान के एक आईएएस अफसर संजय दीक्षित ने भी इस पर भरोसा कर लिया। संजय ने 10 जून को न केवल इस तथाकथित सरकारी नोटिस को अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया बल्कि पश्चिम बंगाल को "इस्लामिक स्टेट ऑफ वेस्ट बांग्लादेश" कहते हुए कुछ तीखी टिप्पणी भी की।

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बाद में जैसे ही पता चला कि कोलकाता पुलिस ने ऐसे फर्जी संदेश फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की बात कही है तो संजय ने यह ट्वीट डिलीट कर दिया। कोलकाता पुलिस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर उस फर्जी नोटिस को शेयर करते हुए इसे झूठा करार दिया है साथ ही कहा है कि जिन लोगों का दिमाग इस अफवाह को फैलाने के पीछे था उनके साथ कानून सख्ती से पेश आएगा।

सोशल मीडिया पर जीते जी मारे गए अमिताभ बच्चन

बॉलीवुड के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन की अमेरिका में सड़क दुर्घटना में मौत जैसी खबरें भी सोशल मीडिया में चल चुकी हैं। यहां तक कि लोग बच्चन के अंतिम क्रिया-कर्म जैसी बातें भी सोशल मीडिया पर करने लगे थे। लेकिन बच्चन ने ऐसी फिजूल खबरों पर कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

2000 के नोट में चिप लगे होने की अफवाह


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1000 हजार रुपए के पुराने नोट को बंद करने का फैसला लिया था। इसके बाद आरबीआई द्वारा जारी किए 2000 रुपए के नोट को लेकर यह अफवाह फैली कि इनमें चिप लगा है। इस फर्जी खबर ने आम नागरिक के साथ-साथ मीडिया को भी अपनी चपेट में ले लिया था। अफवाह फैली कि 2,000 रुपए के नए नोटों में जीपीएस चिप लगी हुई है, जिससे सरकारी एजेंसी कहीं भी रखे नोट का पता लगा सकती हैं। दावा यह भी किया गया था कि नए नोटों को अगर जमीन में 120 मीटर नीचे भी दबा दिया जाए तो जीपीएस चिप सरकार को यह संकेत देगी। इस अफवाह का लाभ उठाते हुए कुछ लोगों ने ऐसे मोबाइल ऐप बना दिए, जिससे नोट स्कैन करने पर प्रधानमंत्री का भाषण चलने लगता है।

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यह अफवाह भी खूब प्रचारित-प्रसारित हुई। से फर्जी खबर पहली बार पहली बार 2008 में एक ईमेल के जरिए फैलाई गई थी, जिसमें कहा गया था कि यूनेस्को ने ये घोषणा की है। जबकि कुछ समय बाद ही यूनेस्को ने इसका खंडन किया था, लेकिन पिछले सा स्वतंत्रता दिवस के आस-पास इस फर्जी खबर को फिर शेयर किया गया। फेसबुक और वाट्सएप पर इसे शेयर किया गया।

सोशल मीडिया में रतन टाटा का फर्ज़ी बयान

जेएनयू विवाद के बाद देश के शीर्ष कारोबारियों में से एक रतन टाटा के सोशल मीडिया में आए एक बयान ने सबको हैरान कर दिया। ट्वीट में कहा गया कि टाटा समूह जेएनयू के किसी भी छात्र की सेवा नहीं लेगा। ख़बर फैलते ही टाटा समूह की ओर से सफ़ाई आई कि टाटा ग्रुप के चेयरमैन रतन टाटा ने जेएनयू विवाद पर किसी भी तरह का बयान दिया ही नहीं।

दादरी में बीफ़ खाने की अफवाह

यूपी के दादरी इलाके में गोमांस खाने की फर्ज़ी अफवाह ने एक परिवार की जिंदगी तबाह कर दी। कुछ समुदाय विशेष के 200 लोगों ने मिलकर दादरी के बिसहड़ा गांव में रहने वाले आखलाक के घर पर धावा बोल दिया। हादसे के बाद जांच हुई और पता चला कि आखलाक के परिवार ने गोमांस खाया ही नहीं था और ना ही फ्रिज से मिला मीट ही गोमांस था।

मुज़फ्फरनगर दंगों का झूठा वीडियो

2013 में यूपी के मुज़फ्फरनगर ज़िले में दंगा भड़कने की पीछे की बड़ी वजह एक फर्ज़ी वीडियो था। जिसे कुछ आसामाजिक तत्वों ने सोशल मीडिय वायरल किया था। इलाके में दंगा भड़काने के लिए ये अफवाह फैलाई गई कि एक समुदाय विशेष के लोगों ने किसी दूसरे समुदाय से जुड़े दो लड़कों को पीट-पीट कर मार डाला। जबकि वो वीडियो पूरी तरह से फर्ज़ी था। वीडियो वायरल होते ही इलाके का माहौल बिगड़ा और हालात इतने ख़राब हो गए कि 43 मासूम लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी, सैकड़ों घायल हुए और हज़ारों लोग अपनी जान बचाने के अपने आशियाने छोड़कर भाग गए।

आरएसएस के वायरल फोटो की पड़ताल


राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर अक्सर वायरल होती रहती है। तस्वीर में आरएसएस के कार्यकर्ताओं को ब्रिटेन की महारानी को गार्ड ऑफ ऑनर देते दिखाया गया। दरअसल, ये तस्वीर भी फर्जी थी। इसे फोटोशॉप के जरिए मॉर्फ करके बनाया गया था। ये तस्वीर कुछ इस कदर वायरल हुई है कि कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने अपने सोशल साइट्स पर कटाक्ष करते हुए लिखा कि आरएसएस के स्वयं सेवकों की हकीकत ये है कि वो ब्रिटिश महारानी को सलामी दे रहे हैं और हमें देशभक्ति सिखाने चले हैं। 

देश में हुई नमक की कमी

इस खबर ने तो किराने की दुकानों पर नमक लेने वालों का तांता लगा दिया और कई जगहों पर तो बहुत ऊंचे दामों पर नमक बिके भी। कानपुर में लोग एक दुकान में नमक के पैकेट लूटने लगे और भगदड़ के बीच पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने से एक महिला की मौत तक हो गई।

आरबीआई ने 10 रुपए के सिक्के को अवैध घोषित किया

नोटबंदी की घोषणा से महीने भर पहले ही इस तरह की अफवाहें फैलीं कि आरबीआई ने 10 रुपए के सिक्के को अवैध घोषित कर दिया है। इस तरह के फर्जी संदेश व्हाट्सएप पर आगरा, दिल्ली और मेरठ में खूब प्रसारित हुए। इस फर्जी खबर के चलते आम नागरिकों को परेशानी तब झेलनी पड़ी, जब दुकानदार 10 रुपए के सिक्के लेने से मना करने लगे। अंतत: आरबीआई को घोषणा करनी पड़ी कि 10 रुपए के सिक्के वैध हैं और उन्हें लेने से मना करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है।


महात्मा गांधी की फोटो

महात्मा गांधी की एक फोटो अक्सर सोशल साइट्स पर छाई रहती है। फोटो में राष्ट्रपिता एक विदेशी महिला साथ नजर आ रहे हैं, जबकि वास्तविक फोटो में महिला की जगह जवाहर लाल नेहरू हैं। यानि फेसबुक से छेडख़ानी के बाद महिला की फोटो पोस्ट की गई है।

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