नई दिल्ली (भाषा)। परियोजनाओं की मंजूरी में तेजी लाने के लिये सरकार ने विभागों और मंत्रालयों के वित्तीय अधिकार बढ़ा दिये हैं। मंत्रियों को अब 500 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं को मंजूरी देने का अधिकार दिया गया है जबकि इससे पहले उन्हें 150 करोड़ रुपए तक की मंजूरी देने का अधिकार था।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इसके अलावा 500 करोड़ रुपए से अधिक और 1,000 करोड़ रुपए तक की परियोजनाओं को वित्त मंत्री मंजूरी दे सकते हैं। 1,000 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजना के लिये मंत्रिमंडल की मंजूरी की ज़रुरत होगी।
इसमें कहा गया है, ‘‘संशोधित नियम के तहत गैर-योजना व्यय मामलों की समिति (सीएनई) अब 300 करोड़ रुपए और उससे अधिक के व्यय से संबद्ध प्रस्तावों का मूल्यांकन करेगी। इससे पहले यह सीमा 75 करोड़ रुपए थी। समिति केंद्र सरकार के मंत्रालयों या विभागों के गैर-योजनागत प्रस्तावों के लिये एक मूल्यांकन मंच के रुप में काम करती है।''
तीन सौ करोड़ रुपए से कम गैर-योजनागत कार्यक्रमों या परियोजनाओं का आकलन मंत्रालय या संबद्ध मंत्रालय की स्थायी वित्त समिति करेगी।
गैर-योजनागत परियोजनाओं के मामले में संबद्ध मंत्रालय के प्रभारी मंत्री की वित्तीय शक्तियां भी बढ़ायी गयी है और 500 करोड़ रुपए से कम लागत वाली योजनाओं को अब इस स्तर पर मंजूरी दी जा सकती है।
बयान के अनुसार पूर्व में प्रभारी मंत्री 150 करोड़ रुपए से कम लागत वाली परियोजनाओं को मंजूरी दे सकता था। बयान में कहा गया है कि 1,000 करोड़ रुपए या उससे अधिक के प्रस्तावों पर मंत्रिमंडल या मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति निर्णय करेगी।