सरकारी अस्पताल में मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ रही दवाएं

Update: 2016-06-28 05:30 GMT
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लखनऊ। सरकारी अस्पताल की स्थापना आम लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए की गई है, लेकिन मरीजों को किस तरह की सुविधा मिल रही है। इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि अस्पताल में जरूरी दवाओं का स्टाक ही नहीं है। मरीजों को बाहर से दवाएं लेनी पड़ रही हैं।

जिला मुख्यालय से 45 किमी. दूर माल ब्लॉक के सरकारी अस्पताल में सरकार की तरफ से मरीजों को मुफ्त दवा वितरित करने के लिए कई प्रकार की दवाओं की सूची स्वास्थ्य विभाग की ओर से उपलब्ध करवाई गई है। 

इसके बावजूद सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को सभी प्रकार की दवाएं उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं। जिसके चलते मरीजों को बाहर की दुकानों से महंगी दवा खरीदने पर मजबूर होना पड़ रहा है।  

थरी गाँव के निवासी मरीज अजय रावत (45 वर्ष) बताते हैं, “मुझे अस्पताल के दवा वितरण केंद्र से सभी दवा नहीं मिली हैं। जो दवा यहां थीं वो दे दी गई हैं। बाकी दवाएं बाहर से लेने के लिए कहा गया है।”

आजादनगर गाँव के निवासी मरीज बड़कन्नू (70 वर्ष) बताते हैं, “सरकारी अस्पतालों में सभी दवाएं नहीं मिलती हैं। तीन दिन की आधी-अधूरी दवा देकर टाल दिया गया है। जो दवा नहीं मिली वे बाहर से लेनी पड़ेगी।”

पीरनगर गाँव के निवासी मरीज अंकित वर्मा (35 वर्ष) बताते हैं, “सरकार मुफ्त दवाओं के लिए योजना लागू करती है, लेकिन मरीजों को बाहर की दवा लिखी जाती है।”

रिपोर्टर - सतीश कुमार सिंह

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