आखिर क्यों नहीं मिल पा रहा माताओं को जननी सुरक्षा योजना का लाभ ?

Update: 2017-05-23 12:40 GMT
केन्द्र सरकार ने आर्थिक मदद की राशि भले ही बढ़ा दी हो पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। केन्द्र सरकार ने जननी सुरक्षा योजना के तहत दी जाने वाली आर्थिक मदद की राशि भले ही बढ़ा दी हो पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। अभी भी कई लाभार्थियों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ और कानपुर देहात में लाभार्थी महिलाओं को योजना के तहत मिलने वाली धनराशि का भुगतान न किए जाने का मामला योजना में किए जा रहे गोलमाल को उजागर कर रहा है।

कानपुर देहात के राजपुर ब्लॉक के अथूमा गाँव की आकांक्षा सिंह (27 वर्ष) को अभी जननी सुरक्षा योजना के तहत दी जाने वाली आर्थिक मदद नहीं मिल पाई। आकांक्षा बताती हैं, “आठ महीने पहले सरकारी अस्पताल में बच्चे को जन्म दिया था, मगर अभी तक पैसा नहीं मिला।” वहीं जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी दूर बख्शी का तालाब के गदेला गाँव में रहने वाली शकुंतला देवी (25 वर्ष) बताती हैं, “मेरे प्रसव को काफी समय हो गया है, लेकिन अभी तक कोई पैसा नहीं मिला है। मेरा बच्चा 10 महीने का हो चुका है। सोचा था कुछ आर्थिक मदद मिल जाएगी तो बच्चे की देखभाल सही से हो जाती।’’

जननी सुरक्षा योजना का लाभ महिला को तुरंत मिलना चाहिए। महिला को अगर इस योजना का लाभ नहीं मिला, इसमें कहीं न कहीं पर आशा बहुओं की गलती है। आशा अपना काम सही से नहीं करना चाहती हैं। ये बात मेरे सामने आई है, जिन महिलाओं को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है वो महिलाएं मुझे उस आशा के लिए लिखित में दे इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रशांत शर्मा,मुख्य विकास अधिकारी, लखनऊ

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ये केवल दो महिलाओं की बात नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के वर्ष 2016-17 के आंकड़ों पर गौर करें, तो जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत 16,640 महिलाओं का प्रसव हुआ, जबकि लक्ष्य 25,696 महिलाओं को संस्थागत प्रसव का लाभ पहुंचाना था। जननी सुरक्षा योजना के तहत सभी चिन्हित गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 6,000 रुपए मातृत्व लाभ पाने का हक है। बीते साल 31 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्भवती महिलाओं के लिए बैंक खातों में 6,000 रुपए सीधे जमा किए जाने की घोषणा की थी। भारत में सालाना 2.6 करोड़ महिलाएं गर्भवती होती हैं। पहले ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपए और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपए की आर्थिक मदद दी जाती थी।

नियम तो यह है कि गर्भवती महिला के प्रसव के बाद पैसा उसके खाते में पहुंच जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो वाकई ये जांच का विषय है। इसकी जांच की जाएगी कि क्यों पैसा उनके खाते में नहीं पहुंच रहा है। इस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अलोक कुमार,निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

जननी सुरक्षा योजना (जेएसवाई) माताओं और नवजात शिशुओं की मृत्यु दर को कम करने के लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) द्वारा चलाया जा रहा एक सुरक्षित मातृत्व कार्यक्रम है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत माता एवं शिशु की मृत्यु दर को घटाना इसका प्रमुख लक्ष्य है। कानपुर देहात जिले के गोपालपुर गाँव की आशा कार्यकत्री नीलम कटियार बताती हैं, “हम लोग शुरू से ही महिलाओं का नाम लिखा देते हैं, जिससे उन्हें रुपए मिल जाएं, लेकिन कई बार या तो उनका एकाउंट नंबर नहीं होता तो कई बार ऊपर से ही पैसे नहीं मिल पाते हैं।”

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