लखनऊ। पानी की कमी और सूखे की मार झेल रहे किसानों के लिए सगंधीय और औषधीय महत्व की फसलों की खेती लाभदायक साबित हो रही है। एरोमा मिशन के तहत अगले दो साल में 5000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में औषधीय पौधों की खेती जाएगी।
केन्द्रीय औषध और सगंध पौध संस्थान (सीमैप) में आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया है। भारतीय लघु विकास बैंक (सिडबी) के वित्तीय सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए सीमैप के निदेशक प्रो अनिल कुमार त्रिपाठी ने कहा, “जलवायु परिवर्तन के कारण लेमनग्रास, पामारोजा, खस जैसे सुगंधित पौधे प्रभावित नहीं होते हैं और इनकी खेती सूखा और ऊसर प्रभावित क्षेत्रों में सफलता पूर्वक की जा सकती है।” उन्होंने आगे कहा, “सीएसआईआर एरोमा मिशन के अन्तर्गत किसानों को न केवल औषधीय एवं सगंध फसलों की खेती के गुर बताए जाएंगे बल्कि उत्पादित सुगंधित तेल व जड़ी-बूटी के विक्रय हेतु आवश्यक प्रयास किए जाएंगे। एरोमा मिशन के अन्तर्गत अगले दो वर्षों में लगभग 5000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सगंधीय पौधों की खेती के विस्तार का लक्ष्य रखा गया है।”
प्रशिक्षण कार्यक्रम संयोजक डॉ. वीकेएस तोमर ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड, बिहार, झारखण्ड और मेघालय से आए 90 से भी अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं जिसमें 10 महिलाएं भी सम्मिलित हैं। प्रशिक्षण में वैज्ञानिकों द्वारा व्याख्यानों के अतिरिक्त प्रक्षेत्र भ्रमण व सफल किसानों से चर्चा का भी कार्यक्रम रखा गया है।