सवा तीन सौ करोड़ से होगा शौचालयों का निर्माण

Update: 2016-06-10 05:30 GMT
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लखनऊ। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत पिछले नौ महीने से धनराशि न होने के कारण शौचालयों का निर्माण कार्य ठप पड़ा था, जो अब जल्द शुरू हो जाएगा क्योंकि चालू वित्तीय वर्ष में शौचालयों के निर्माण कार्य के लिए सवा तीन सौ करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं। 

59,163 ग्राम पंचायत वाले उत्तर प्रदेश में दो करोड़ 87 लाख से ज्यादा घर हैं, इनमें वर्ष 1999 के बाद से अब तक एक करोड़ 81 लाख 19 हजार घरों में शौचालय बनाए भी जा चुके

हैं। पंचायती राज विभाग से प्राप्त जानकारी के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2015-16 में ही इस वित्तीय वर्ष में 2 लाख 30 हजार घरों में शौचालय बनवाए गए हैं। प्रदेश में बीते सितंबर से शौचालय निर्माण के लिए धनराशि नहीं जारी की गई थी।

सरोजनीनगर ब्लॉक के मकदुमपुर गाँव के रहने वाले राजकिशोर (50 वर्ष) बताते हैं, “हम लोगों को शौचालय बनाने के लिए लक्ष्य मिला था पर काम नहीं हो रहा है। प्रधान ने कहा कि मटीरियल का पैसा न मिलने की वजह से मनरेगा के तहत शौचालय बनाने का काम नहीं हो पाएगा, जब मनरेगा के तहत निर्माण का पैसा नहीं आएगा तो मनरेगा मजदूर काम कैसे करेगा। पिछले कुछ महीनों से काम ठप पड़ा है।”  

भारत सरकार 1999 से अपने पैसों से लोगों के घरों में शौचालय बनवा रही है। पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय के सर्वेक्षण के मुताबिक देश में 2 करोड़ 76 लाख शौचालयों का वास्तविक जमीन पर की रिकॉर्ड नहीं है। एक करोड़ 41 लाख शौचालय बेकार पड़े है। मनेरेगा के तहत बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। वर्ष 2014 की वर्ल्ड डेवलपमेंट रिपोर्ट में विश्व बैंक ने भी मनरेगा की तारीफ करते हुए उसे ग्रामीण क्षेत्र में विकास का बेहतरीन उदाहरण बताया था। 

डिप्टी कमिश्नर मनरेगा प्रतिभा सिंह बताती हैं, “शौचालय निर्माण के लिए पैसा आ गया है, नए वित्तीय वर्ष में प्रथम धनराशि स्वीकृत की गई है। सवा तीन करोड़ रुपये आया है, एक से दो दिन लगेगा पैसा जिले में भेजने के लिए। जो निर्माण अधूरे पड़े हैं, उन्हें पूरा करने की कोशिश की जाएगी।” वह बताती हैं कि नई योजनाओं को भी जोड़ा जा रहा है। मनरेगा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां भी मनरेगा मजदूरों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। इससे वह अब अपना हक आसानी से पा सकते हैं। 

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