किसानों को मिली बिचौलियों से मुक्ति, अब नहीं देनी होगी दलाली 

Update: 2016-10-05 20:37 GMT
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कम्युनिटी जर्नलिस्ट: अतुल पाण्डेय

कानपुर देहात। जिस खाद और बीज को लेने के लिए किसानों को पहले महीनों चक्कर लगाने पड़ते थे और महंगे दामों पर खरीदने पड़ते थे, अब वही खाद और बीज किसानों को घर बैठे आसानी से मिल रहा है। अब न ही किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए गाँव के बाहर जाना पड़ेगा और न ही बीज खरीदने के लिए दर-दर भटकना पड़ेगा। किसानों के द्वारा अब तक 53 जिलों में 130 प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां बन गयी है।

अब किसान हैं बहुत खुश

ये सब संभव हुआ है किसानों की खुद की बनायी गयी कंपनियों से। कानपुर देहात के टोडरपुर निवासी किसान छत्रपाल सिंह (70 वर्ष) अपनी खुद की बनायी कंपनी शोभन एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी के चेयरमैन हैं। छत्रपाल कहते हैं, "ये कम्पनी बनने से हम सब किसान बहुत खुश है, क्योंकि अब हमारी फसल बाजार में औने-पौने दाम पर नहीं बिकेगी।"

60 गांवों के 100 किसान शामिल

कानपुर देहात जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर मैथा ब्लॉक है। कानपुर देहात के मैथा ब्लॉक में नाबार्ड के ‘कृषक उत्पादन विकास कार्यक्रम’ सहयोग से बनाई गई इस कंपनी में छत्रपाल के साथ ही आसपास के 60 दूसरे गाँवों के 100 किसान शामिल हैं। इन गाँवों के ज्यादातर किसान छोटी जोत के हैं, जो देश के दूसरे तमाम किसानों की तरह बाजार से महंगे दामों पर सामान तो खरीदते ही थे, साथ ही अपने खेतों में उगे गेहूं, आलू, धान और गन्ना की उचित कीमत के लिए परेशान भी रहते थे। मगर अब इस गाँव में खरीद और बिक्री की पूरी व्यवस्था बदल गई है। किसानों ने अपनी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शोभन एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड बनाई है। कंपनी को शुरु करने के लिए हर किसान एक-एक हजार रुपए जमा करता है। ये कंपनी अपने सदस्यों के लिए बाजार से खाद-बीज आदि सस्ती दरों पर उपलब्ध करा रही है। ये कंपनी दूसरी कंपनियों से बीज खरीदने के बजाय आने वाले समय में अपने ही बीज दूसरे किसानों को भी बेचेगी।

अब तक 105 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन

नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक नवीन कुमार राय बताते हैं, "अब तक 105 कंपनियों का रजिट्रेशन हो गया है। पंद्रह से बीस कंपनियों ने बिजनेस प्लान बना कर अपना काम भी शुरु कर दिया है, ये कंपनियां डेयरी, मुर्गी पालन, बागवानी, बीज उत्पादन, सब्जी उत्पादन जैसे पच्चीस गतिविधियां कर रहे हैं।" “ग्रामीण भारत में रहने वाली 70 फीसदी आबादी में बड़ा हिस्सा खेती पर निर्भर है। वो मेहनत करते हैं खेतों में पैसे खर्च करते हैं, बावजूद इसके उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलता क्योंकि लाभ का एक बड़ा हिस्सा बिचौलिए खा जाते हैं। ऐसा न हो इसलिए किसानों के समूहों का गठन कर कंपनियां बनाई जा रही हैं, ताकि किसान खुद अपनी उपज के मालिक बन सकें। किसानों के लिए बनाई गई ये कंपनियां, किसानों के लिए ही काम कर रही हैं और जो लाभ है वो भी किसानों को ही मिलेगा। वो आगे बताते हैं, "उत्तर प्रदेश बीज विकास निगम से बात हो गयी है, अब वो किसानों का बीज सीधे खरीदेंगे। जिला अधिकारी ने इफको से डीलरशिप करा दी है, इन किसानों को अच्छी कीमत मिले इसलिए हम लोग फ्यूचर ग्रुप (बिग बाजार), स्पेंसर जैसे मल्टीस्टोर में बात कर कर रहे हैं। डील फाइनल होते ही दूरदराज़ का किसान अपनी सब्जी फल और दूसरे उत्पाद बिग बाजार को बेच सकेगा।”

बिचौलिये की हाथ की कठपुतली नहीं बनेंगे किसान

नाबार्ड की कोशिश रंग लाई तो अब तक असंगठित किसान भी संगठित होंगे और बिचौलियों के हाथ की कठपुतली बनने से बच जाएंगे । नॉट्स के सीईओ सौरभ गुप्ता बताते हैं, "भारत सरकार द्वारा नाबार्ड में स्थापित प्रोडयूस निधि के अंतर्गत देश भर में विभिन्न सहयोगी एजेंसी द्वारा 2000 कृषक उत्पादक संगठनों का विकास किया जा रहा है। किसान उत्पादक संगठनों के द्वारा अब किसान संगठित हो कर खुद के संगठन (जो कि कम्पनी या सहकारी समिति के रूप में) अपने उत्पादों को उचित दामो पर बेच सकेंगे। कानपुर देहात में तीन जबकि पूरे प्रदेश में ऐसी 130 कंपनियां काम करना शुरू कर चुकी हैं।”इस बार इफको से किसानो ने 200 बोरियां खाद ली है, आने वाले समय में ये संख्या और बढ़ेगी।

किसी भी मंडी में कर सकते हैं माल की बिक्री

नॉट्स के अनुसार बाजार में 100 रुपए के उत्पाद के सापेक्ष किसानों को सिर्फ 40 रुपए ही मिलते हैं। बाकी का पैसा बिचौलिए खा जाते हैं। अब तक उत्तरप्रदेश में इस तरह की 130 कम्पनियां बन गयी हैं। इऩ कंपनियों में 100 से लेकर 1000 किसान तक शामिल हो सकते हैं। भारत में किसानों को सफलता के गुर सिखा रहे नाबार्ड के जिला विकास प्रबंधक दीपेन्द्र कुमार ने बताया, "कम्पनी बन जाने के बाद किसानों को उत्पादन का लाभ दिलाने के लिए खरीदे गये माल की बिक्री देश की किसी भी मंडी में की जा सकेगी। खर्च काटने के बाद उसका पूरा लाभ किसानों को मिलेगा। देश की किसी भी कम्पनी से किसान बीज, खाद, कीटनाशक दवा सहित कृषि की जरूरतों का सामान मंगा सकता है, इससे किसानों को बहुत कम लागत में सामान मिलेगा। कंपनी की पूंजी के आधार पर भारत सरकार द्वारा भी सामान पूंजी की व्यवस्था अधिकतम 10 लाख तक की गयी है।कंपनी बनने के बाद किसानों का संगठन बीज से लेकर बाजार तक के क्षेत्र में कामकर सकेगा।"वो आगें बताते हैं कि पहला प्रयास है कि किसानो की लागत कम हो इसके लिए किसानो को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है । शुरूआत में कंपनी में किसान जितने पैसे जमा करेंगे केंद्र सरकार उसी रकम के बराबर अपने पास से मदद देगी, ये मदद 10 लाख रुपये तक हो सकती है। नॉट्स के सीईओ सौरभ गुप्ता बताते हैं, हमारे सहयोग से बनाई गई कंपनियों का बिजनेस प्लान तैयार हो गया है, अभी इफको के साथ शोभन एग्रो प्रोड्यूसर कंपनी को जिलाधिकारी से खाद बेचने का लाइसेंस भी मिल गया है ।अब किसानो को खाद और बीज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। साथ ही किसानो को उनकी फसल का वाजिब दाम भी मिलेगा।

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