कन्नौज में पशु अस्पतालों में हर रोज नहीं पहुंचते डॉक्टर

Update: 2017-07-04 13:02 GMT
बन्द पड़ा कन्नौज का राजकीय पशुचिकित्सालय।

रवीन्द्र सिंह, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

सकरावा (कन्नौज)। पशु चिकित्सालयों में मवेशियों का इलाज डॉक्टर कम कर्मचारी अधिक करते हैं। हर रोज व समय से डॉक्टर ग्रामीण इलाकों के अस्पतालों में नहीं पहुंचते हैं। शनिवार को ‘गाँव कनेक्शन’ ने राजकीय पशु चिकित्सालय एवं कृत्रिम गर्भाधान केंद्र डडौनी, सौरिख पहुंचकर जमीनी हकीकत परखी। यहां मौके पर डॉक्टर नहीं थे।

ड्रेसर रामेंद्र सिंह बताते हैं, ‘‘डॉ. एसबी शर्मा की तैनाती है। वह पशुओं के बीमा का पैसा जमा करने गए हैं।’’ अस्पताल में चहारदीवारी नहीं है। यहां लाइट व पानी नहीं थी। रामेंद्र आगे बताते हैं, ‘‘बहुद्देशीय सचल वाहन सौरिख ब्लाक क्षेत्र में एक ही है।’’

हसनपुर के निवासी दिनेश उर्फ पप्पू (42 वर्ष) कहते हैं, ‘‘डॉक्टर कभी-कभी आते हैं। कभी-कभी नहीं आते हैं।’’ इसी गाँव के सरनाम सिंह (43 वर्ष) बताते हैं, ‘‘जब जरूरत होती है तो वाहन से फायदा मिला है।’’ वहीं तिलक सिंह (60 वर्ष) का कहना है, ‘‘पशुओं की समस्याओं का निदान हो जाता है।’’ इस बाबत सीवीओ डॉ. वीके त्रिवेदी का कहना है, ‘‘तीन डॉक्टरों का तबादला हो गया है। उनके स्थान पर तीन नए डॉक्टर आ रहे हैं। पशुओं के इलाज में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है।’’

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डॉक्टर रहे नदारद, बहुउद्देशीय सचल वाहन भी पूरी तरह दम तोड़ चुका

मोहित सैनी, स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

बागपत। पशुपालन को लेकर शासन की ओर से तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रहीं हैं फिर भी विभागीय उदासीनता के चलते चिकित्सालय के भवनों की हालत पूरी तरह से जर्जर है। बागपत तहसील मुख्यालय का पशु चिकित्सालय की हालत तो ठीक मिली, लेकिन वहां की सुविधाएं दम तोड़तीं दिखीं।

जब गाँव कनेक्शन की टीम 8.30 बजे चिकित्सालय पहुंची तो आनन-फानन में लोग अपनी सीट पर जाकर बैठे। डॉक्टर के बारे में पूछा गया तो एक साहेबान ने कहा डॉक्टर फील्ड में हैं। जब मुख्य पशुचिकित्साधिकारी से पूछा गया कि बहुउद्देशीय सचल वाहन की हालत बहुत जर्जर है तो उन्होंने गोलमोल जवाब देते हुए बताया, “हमने शासन को एक चिट्ठी दे रखी है। जल्द ही हमें वाहन मिल जाएंगे।”

पशुपालक अफजल अहमद (68 वर्ष) बताते हैं, “हम कल ही अपना पशु लेकर अस्पताल गए थे, लेकिन डॉक्टर नहीं मिलने पर हमें भेज दिया गया और कहा डॉक्टर कल सुबह आएंगे तब आप आना।”

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