महाराष्ट्र का ये किसान तीन महीने में शरीफे की खेती से कमा रहा लाखों रुपए
लखनऊ। मार्केट में शरीफा आपको आसानी से मिल जाएगा, लेकिन शायद इसी शरीफे की तीस साल पहले खेती की शुरुआत करने वाले किसान नवनाथ कसपटे ने ये नहीं सोचा था कि वो इससे तीन-चार महीनों में में करोड़ों रुपए कमाएंगे।
महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के गोरमाले गाँव के रहने वाले किसान नवनाथ मल्हारी कसपटे तीस वर्ष पहले अंगूर की खेती करते थे लेकिन आज अपने जिले के सबसे बड़े शरीफा उत्पादक बन गए हैं। नवनाथ बताते हैं, "हमारे यहां किसान सबसे ज्यादा अंगूर की खेती करते हैं, मैं भी अंगूर की खेती करता था, जब शरीफा की खेती शुरुआत की तो लोगों ने कहा कि इसमें फायदा नहीं होगा, लेकिन आज उसी से एक सीजन में करोड़ों रुपए की आमदनी हो जाती है।"
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ड्रिप तकनीक से करते हैं सिंचाई
आमतौर पर किसान शरीफा में सिंचाई कि ओर विशेष ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन नवनाथ ने अपनी 35 एकड़ की बाग में ड्रिप सिंचाई तकनीक लगा रखी है, जिससे बूंद-बूंद कर सिंचाई की जाती है। गर्मी में हफ्ते में एक बार और सर्दी में 15-20 दिन बाद एक बार सिंचाई करते हैं।
हमारे यहां किसान सबसे ज्यादा अंगूर की खेती करते हैं, मैं भी अंगूर की खेती करता था, जब शरीफा की खेती शुरुआत की तो लोगों ने कहा कि इसमें फायदा नहीं होगा, लेकिन आज उसी से एक सीजन में करोड़ों रुपए की आमदनी हो जाती है।नवनाथ, किसान
नयी किस्में की हैं विकसित
नवनाथ न केवल शरीफा की खेती कर रहे हैं, बल्कि शरीफा की कई किस्में भी इजाद की हैं। नयी किस्मों में एनएमके-एक गोल्डन, एनएमके-टू, एनएमके-थ्री, एनोना-सेवन, आर्कासाहन, आटोमोया, बालनगरी, चांदसिली, फिंगरप्रिंट, रेड कस्टर्ड एप्पल जैसी नयी किस्में विकसित की हैं।नवनाथ अब दूसरे किसानों को भी उन्नत किस्मों की खेती की जानकारी देते हैं। इसके लिए उन्हें कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है।
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दूसरे किसान भी करने लगे हैं शरीफा की खेती
नवनाथ को देखकर अब दूसरे किसान भी शरीफा की खेती करने लगे हैं, सोलापुर शरीफा उत्पादकों का सबसे बड़ा जिला बन रहा है।
दो वर्ष में तैयार होते हैं पेड़
शरीफा मूल रूप से शुष्क जलवायु के पेड़ होते हैं। पाले से इन्हें नुकसान होता है। अधिक सर्द मौसम में फल सख्त हो जाते है तथा पकते नहीं है। फूल आने के समय शुष्क मौसम होना लाभदायक होता है।
एक एकड़ में चार-पांच लाख रुपए की आमदनी
एक बार में पौधा लगाने के बाद दो साल में पेड़ तैयार हो जाते हैं। एक सीजन में एक एकड़ में सात-आठ टन शरीफा का उत्पादन हो जाता है। चार-पांच लाख रुपए एक एकड़ से आमदनी हो जाती है, हम लोग अपना फल मुंबई भेजते हैं, वहां से दूसरे प्रदेशों और देशों तक शरीफा भेजा जाता है। शरीफा के फल तोड़ने के एक सप्ताह लगभग बाद खाने योग्य होते हैं जब फल कुछ कठोर रहते है तभी तोड़ लेना चाहिए नहीं तो फल पेड़ पर ही सड़ने लगते हैं।