हरिनरायण शुक्ला, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
गोंडा। जनपद के किसान अब सहफसली खेती करने लगे है। सहफसली खेती से उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है। देवीपाटन मंडल मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर गोंडा -बहराइच मार्ग सटे पिपरा चैबे के किसान ने गन्ने व भिंडी की सहफसली खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं।
सदर तहसील के विकास खंड के गांव पिपरा चैबे के किसान रमेश चौबे (35वर्ष) गन्ने और भिंडी की सहफसली करते हैं। रमेश चौबे ने बताया, “ मैंने फरवरी माह में एक एकड़ गन्ने की बोआई ट्रेंच विधि से की थी। इसके साथ ही गन्ने में ही भिंडी की बोआई की थी, जिस पर 1500 रुपए का खर्चा आया था। मार्च से भिंडी निलकने लगी थी। हर तीसरे दिन लगभग तीन हजार की भिंडी आसनी से निकल जाती है। करीब दस हजार की भिंडी सहालग में निकल गई थी।”
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डीसीओ पीएन सिंह का कहना है, “ मैंने गन्ने के खेत का निरीक्षण किया तो पाया कि किसान ने सहफसली खेती बहुत अच्छी तरीके से किया है। खास बात यह है कि भिंडी की सिंचाई बार बार होने से गन्ने की फसल को फायदा हुआ। गन्ने की फसल का उत्पादन भी बढेगा।”
एक साथ भिंडी और गन्ने की खेती के फायदे
- एक ही बार खेत की तैयारी में भिंडी और गन्ना दोनों तैयार हो जाते हैं।
- गन्ने की दो पंक्तियों के बीच जमीन का भरपूर उपयोग होता है।
- भिंडी बोने के खर पतवारों भी कम हो जाते हैं।
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