जब प्रशासन ने नहीं सुनी तो लोगों ने खुद ही बना डाली कच्ची पुलिया 

Update: 2017-06-17 19:32 GMT
पुलिया के निकट रहने वाले ग्रामीण।

खादिम अब्बास रिज़वी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

जौनपुर। जिले के करंजाकला ब्लॉक की पुलिया पूरी तरह से जर्जर है। इसके चलते आए दिन यहां हादसा होता है और गांव के लोग ज़ख्मी हो रहे हैं। हद यह है कि प्रशासन को बार-बार बताने के बावजूद अधिकारी पुलिया की मरम्मत नहीं करा रहे हैं। पिछले दो वर्ष में अब तक इस पुलिया पर सौ से अधिक लोग गिरकर घायल हो चुके हैं। ऐसे में आसपास के गाँव के लोगों का भी सब्र जवाब दे रहा है।

करंजाकला ब्लॉक के क्यार जमुहाई मार्ग पर नहर पर काफी पुरानी पुलिया बनी हुई है। यह मार्ग जौनपुर-आजमगढ़ मार्ग को जोड़ता है। परेशानी यह है कि एक दशक से यह पुल जर्जर हालत में था। पिछले दो वर्ष पहले ओवरलोड वाहन जाने के कारण पुलिया का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया। कुछ दिनों के बाद दूसरा हिस्सा भी टूट गया। इसके चलते इस मार्ग पर आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया।

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लोगों को परेशानी हुई तो प्रशासनिक अधिकारियों से जर्जर पुल की मरम्मत करने की गुहार लगाई लेकिन जब प्रशासन ने नहीं सुनी तो लोगों ने मजबूर होकर पुलिया को खुद ही बना लिया। ग्रामीणों ने मिट्टी डालकर पुलिया पर आवागमन तो शुरू कर दिया लेकिन तब से लेकर अब तक यह पुलिया लोगों की खून की प्यासी है।

आए दिन इस पुलिया पर हादसा हो रहा है लेकिन बार-बार शिकायत के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि किसी दिन कोई बड़ा हादसा हो गया तो कौन जिम्मेदार होगा। इस पुलिया से न सिर्फ ग्रामीणों का गुजर होता है बल्कि कई स्कूल की बसें और छोटे वाहन भी गुजरते हैं। ऐसे में हर वक्त अप्रिय घटना होने का डर है।

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भदेठी गाँव निवासी मोहम्मद याकूब (45 वर्ष) बताते हैं,“ यह पुल आजमगढ़-जौनपुर की सीमा को जोड़ती है। जिस पर 24 घंटे वाहनों का आना-जाना लगा रहता है। इसके बावजूद जिला प्रशासन अनदेखी कर रहा है।”

भदेठी निवासी मोहम्मद हिटलर (40 वर्ष) का कहना है,“ पिछले दो साल में इस पुल पर कई हादसे हो चुके हैं। जिसमें 100 से अधिक लोग जख्मी हुए हैं। प्रशासन के लोगों ने कई बार निरीक्षण भी किया इनके बावजूद निर्माण नहीं हुआ।”

जमुहाई गांव निवासी लालबहादुर (55 वर्ष) ने बताया, “गुरुवार की देर शाम गांव के ही महेंद्र समेत तीन लोग गिर कर जख्मी हो गए। प्रशासन नहीं सुन रहा है। इसलिए हम लोग रोड पर उतरने को मजबूर हैं।”

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