कानपुर के इन दो गाँवों को भारत- अमेरिका मिलकर बनाएंगे हाईटेक

Update: 2017-07-08 09:06 GMT
प्रतीकात्मक तस्वीर

स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट

कानपुर। जिले के दो गाँव पूरे देश के लिए मिसाल बनने जा रहे हैं। अमेरिका और भारत के कई शीर्ष रिसर्च इंस्टीट्यूट पॉवर ग्रिड लगाकर सोलर एनर्जी से गाँवों को रोशन करेंगे। कानपुर नगर के चौबेपुर ब्लॉक के चेरी निवादा और नोनहा नरसिंह गाँवों में सौर ऊर्जा की सोलर ग्रिड लगाकर डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के अंतर्गत सोलर एनर्जी का वितरण किया जाएगा।

इन गाँवों को भारत सरकार और अमेरिका सरकार के रिसर्च प्लान के अंतर्गत हाइटेक बनाया जाएगा। इसमें दोनों देशों के 15-15 शिक्षण संस्थान शामिल होंगे, जहां भारत की ओर से आईआईटी कानपुर इस रिसर्च की कमान संभाल लेगा तो वहीं वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी यूएस की ओर से इस प्रोजेक्ट में भाग लेगी। यूएस इंडिया कोला रिलेटिव फॉर स्मार्ट डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम विद स्टोरेज नामक प्रोजेक्ट कानपुर के इन गाँवों की तस्वीर बदल देंगे।

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भारत सरकार की ओर से इस प्रोजेक्ट की कमान संभाल रहे आईआईटी कानपुर के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर सुरेश चंद्र श्रीवास्तव बताते हैं, “यह भारत सरकार और अमेरिकी सरकार का एक साझा प्रयास है, इसके अंतर्गत 30 शिक्षण संस्थान मिलकर पांच साल तक एक रिसर्च प्रोग्राम चलाएंगे, जिसमें लगभग 100 करोड़ रुपए का खर्चा आएगा।

इसमें लगभग 50 करोड़ रुपए दोनों देशों के ऊर्जा विभाग की तरफ से दिए जाएंगे और शेष 50 करोड़ों रुपए दोनों देशों की सरकारें देंगी। यह साझा प्रोजेक्ट सितम्बर-अक्टूबर माह से प्रारंभ हो जाएगा। इस स्मार्ट ग्रिड के लगने से ग्रामीणों को काफी फायदा होगा उनके घरों में सोलर एनर्जी से चलने वाले लाइट और पंखे लगेंगे और इसके लिए सोलर ग्रिड से ही एनर्जी सप्लाई दी जाएगी।”

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प्रोफेसर श्रीवास्तव आगे बताते हैं, “रिसर्च के दौरान सोलर एनर्जी तैयार करके उसे घर घर आसानी से वितरित किया जाएगा और यह देखा जाएगा कि ग्रेड से सोलर एनर्जी सप्लाई करने में किस प्रकार की समस्याएं सामने आती हैं और उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है इसके अलावा हम 16 एनर्जी को और किन-किन माध्यमों से इस्तेमाल कर सकते हैं।”

प्रो.सुरेश चंद्र ने बताया भारत और अमेरिका के 30 शिक्षण संस्थाओं का चयन इस प्रोजेक्ट के लिए किया गया है। प्रोजेक्ट कानपुर में है, इसलिए आईआईटी कानपुर को इस प्रोजेक्ट को लीड करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इस प्रोजेक्ट में 15 संस्थाएं भारत की और 15 संस्थाएं यूएस की होंगी।

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