फिर छाने वाला है लखनवी जमघट, वो मारा, वो काटा का चलेगा जोर

Update: 2017-05-30 18:30 GMT
प्रतीकात्मक फोटो।

लखनऊ। लखनऊ में दिपावली के अगले दिन शुरू होने वाले जमघट में पूरे लखनऊ के आसमान में पतंग ही पतंग दिखती हैं। एक जमाने से पतंगबाजी लखनऊ वालों का पसंदीदा शौक रहा है। दूर तलक आसमान में सिर्फ अपनी पतंग देखने का शगल और शौक मज़ेदार होता है। चरखियां खाली हो जाएं, तो होती रहें।

भाईचारे की दिखती है अनूठी मिसाल

इस मौके पर सिर्फ बच्चे ही नहीं, पूरा परिवार छत पर पतंग और मांझा संभालता हुआ नज़र आता है। पुराने लखनऊ के चौक, नक्खास, चौपटिया, तालकटोरा, राजा बाज़ार, डालीगंज जैसे इलाकों में पतंगबाजी की हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की अनूठी मिसाल देखी जा सकती है। ऐसा माना जाता है की जमघट की शुरुआत नवाबों ने शुरू की थी। लोगों के मुताबिक, लखनऊ के बड़े से बड़े नवाब पतंगबाज़ी के शौक़ीन थे।

हम लोग कुछ दिन पहले से जमघट की तैयारी शुरु कर देते हैं, लखनऊ में तो बकायदा प्रतियोगिता भी होती है।
अभिषेक शर्मा, चौक निवासी

रंग-बिरंगी पतंगों का जमघट

पतंगबाजी सबसे ज्यादा बच्चे और युवाओं के बीच लोकप्रिय है। इस दिन बकायदा प्रतियोगिताएं आयोजित होती हैं। इस दिन युवा और बच्चे अपनी अपनी टोली बनाकर पतंग उड़ाते हैं और उनके साथ पुराने माहिर भी छतों पे चरखी पतंग के साथ पहुंच जाते हैं। फिर शुरू होता है जमघट। पूरे आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों की जमघट हो जाती है, जो देखते ही बनता है।

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