बुंदेलखंड में अन्ना प्रथा को रोकेगी ये तकनीक

Update: 2017-06-05 16:43 GMT
अन्ना प्रथा को रोकने के लिए सेक्स सीमन तकनीक का प्रयोग किया जाएगा।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। बुंदेलखंड में वर्षों से चली आ रही अन्ना प्रथा को रोकने के लिए सेक्स सीमन तकनीक का प्रयोग किया जाएगा। इस तकनीक से गाय की नस्लों में तो सुधार होगा ही। साथ ही अधिक से अधिक बछिया भी पैदा की जा सकेंगी।

उत्तर प्रदेश पशुधन विकास परिषद् के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. बीबीएस यादव,“इटावा और लखीमपुर-खीरी में इस तकनीक पर काम चल रहा है। बुंदेलखंड क्षेत्र में इसको शुरू किया जाएगा। इस तकनीक से किसान अपनी गायों को छुट्टा नहीं छोड़ेंगे। अन्ना प्रथा उन्मूलन योजना के तहत चित्रकूट, झांसी में उच्च गुणवत्ता वाले सांड को लाया गया है इनको तैयार किया जा रहा है ताकि कुछ ग्राम सभाओं में इनको बांटा जा सके।

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2012 में आई कृषि मंत्रालय द्वारा जारी 19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे बुंदेलखंड में 23 लाख 50 हजार गोवंश हैं। जिनमें से अधिकांश छुट्टा हैं, जिन्हें स्थानीय भाषा में अन्ना कहा जाता है। इन्हीं पशुओं की बदौलत बुंदेलखंड दुनिया में सबसे कम उत्पादकता वाले क्षेत्र में शामिल है।

ये है सेक्स सीमन तकनीक

इस तकनीक में वैज्ञानिकों ने नर और मादा पशु पैदा करने की तकनीक को अलग-अलग कर दिया है। गाय में सांड का वीर्य निषेचित करने से पहले सांड के वीर्य से वाई क्रोमोजोम को पूरी तरह से अलग कर दिया जाता है। इससे कृत्रिम गर्भाधान से इस सीमन से 90 प्रतिशत तक बछिया (गाय) पैदा होती हैं। किसी भी नर का जन्म तभी होता है जब एक्स और वाई क्रोमोसोम एक साथ मिलते हैं। इस सीमन से थारपरकर, गिरि और साहीवाल जैसी अधिक दूध देने वाली बछिया पैदा होती हैं।

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