कम बारिश में भी अधिक उत्पादन देगी बाजरे की ये नई किस्म

Update: 2017-10-14 16:12 GMT
बाजरा।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

मेरठ। हर साल सूखे से तबाह होने वाले करोड़ों किसानों के लिए यह खबर राहत देने वाली है। अब कम बारिश में भी किसान बाजरे की भरपूर पैदावार कर सकेंगे। किसान को कम बिजली और कम बारिश की परेशानी से मुक्ति मिल सकेगी। चौधरी चरण सिंह युनिवर्सिटी के प्लांट ब्रीडिंग विभाग में कृषि वैज्ञानिक डॉ. राजीव वार्ष्णेय का नया शोध इन चिंताओं से राहत देने वाला है।

उत्पादकता रखी जा सकती है बरकरार

डॉ. राजीव बताते हैं कि उन्होने बाजरे का ऐसा जीन खोज निकाला है, जिसे गेहूं, धान, दलहन, तिलहन में प्रत्यारोपित कर सूखे में भी उत्पादकता बरकरार रखी जा सकती है। यह शोध प्रतिष्ठित नेशनल जर्नल नेचर बायोटेक्नोलाजी में प्रकाशित हुआ है। कृषि वैज्ञानिक इस नये जीन की खोज को जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग की दुनिया में मील का पत्थर मान रहे हैं। सूखे से निपटने में यह कारगार साबित होगा। कम बारिश वाले क्षेत्रों में भी अच्छी उपज लेने के लिए भी यह सहायक होगा।

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करोड़ों किसान झेलते हैं सूखे की मार

दरअसल देश में औसत 20 करोड़ किसान हर साल सूखे की मार झेलते हैं। कम बारिश की वजह से इन किसानों के लिए खाद्य संकट आ जाता है। सरकार का मुआवजा इनके लिए बुनियादी जरूरतें भी पूरा नहीं कर पाता। साथ ही कुछ किसानों तक मुआवजे का पैसा पहुंच ही नहीं है। ऐसे किसानों के लिए डॉ. राजीव वार्ष्णेय का शोध मील का पत्थर साबित होगा। जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग विभाग के शोधार्थी राजीव वार्ष्णेय के शोध का आधार बाजरे का वह मूल गुणधर्म है, जिसके चलते वह कम बारिश और सूखे में भी बेहतर पैदावार देता है।

38 हजार जीन्स का किया अध्ययन

इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड टॉपिक्स, हैदराबाद में रिसर्च प्रोग्राम डायरेक्टर राजीव ने बाजरे के जीनोम पर रिसर्च के दौरान उनके 38 हजार जीन्स का अध्यन किया। इस दौरान उन्होंने बाजरे में वैक्स बायो सिंथेसिस जीन खोज निकाला। यह जीन वह प्रमुख कारक हैं जो सूखे के हालात में भी बाजरे की हरयाली और उत्पादन बरकरार रखता हैं। यह बाजरे की पत्तियों पर एक बारीक परत बना देता है। जो तेज गर्मी में भी पत्तियों से पानी का उत्सर्जन नहीं होने देता है।

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इस तरह होगा फायदा

बाजरे की फसल 42 डिग्री तापमान पर भी बेहतर उत्पादन देती हैं। डॉ. राजीव बताते हैं कि बाजरे में वैक्स बायोसिंथेसिस जीन में वह सभी कारक हैं, जो कम वर्षा व सूखे में भी फसल को बचाता है। इसे हम धान, गेहूं, दलहन किसी भी फसल में प्रत्यारोपित कर सकते हैं। इससे अन्य फसलों में भी बाजरे की तरह ही सूखा और उच्च तापमान से निपटने की क्षमता बढ़ेगी।

भविष्य में राजीव का शोध करोड़ों किसानों को सूखे से निजात दिलाने में मदद करेगा। साथ ही किसान भी वैक्स बॉयो सिंथेसिस जीन की उपयोग कर अच्छी पैदावार ले सकते हैं।
प्रो. पीके गुप्ता, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ

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