जम्मू-कश्मीर में दो साल से प्रदर्शन कर रहे हजारों संविदा प्रवक्ताओं की कोई सुनवाई नहीं
केंद्र सरकार से बजट मिलने के बाद भी जे एंड के सरकार ने संविदा प्रवक्ताओं को नहीं किया नियमित दो साल से चल रहा हैं विरोध प्रदर्शन. व्यवस्था का शिकार हो गये जम्मू-कश्मीर के हजारों संविदा प्रवक्ता
लखनऊ। शिक्षक राष्ट्रनिर्माता होता है, ऐसा कहा जाता है लेकिन आजाद भारत की बदलती व्यवस्था में शिक्षकों की परिभाषा बदलती जा रही हैं। आये दिन शिक्षकों द्वारा किये जाने वाले धरना-प्रदर्शन, हड़ताल, रोड जाम के बारे में सुनते देखते और पढ़ते हैं। चाहे वो उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्रों, अनुदेशकों की हड़ताल हो या देश के अलग-अलग राज्यों में होने वाली गेस्ट टीचर, प्रवक्ता, प्रोफेसर के आन्दोलन हो। जम्मू-कश्मीर में हजारो की संख्या में संविदा प्रवक्ता 2 साल से धरना प्रदर्शन कर रहे हैं आखिर इसका जिम्मेदार कौन है ?
वर्तमान समय में जम्मू -कश्मीर में लगभग एक हजार पांच सौ संविदा प्रवक्ता काम कर रहे है। जिनमें ग्रामीण पहाड़ी क्षेत्रों में काम करने वाले शिक्षकों को 14 हजार मासिक वेतन दिया जा रहा और और शहरी क्षेत्र में काम करने वाले शिक्षकों को 10500 रूपये का वेतन जम्मू एंड कश्मीर की सरकार द्वारा दिया जा रहा हैं।
जम्मू- कश्मीर की संविदा प्रवक्ता रजनी जम्वाल ने बताया " आदेश संख्या 1301/2003 के तहत केंद्र सरकार से ग्रांट लेकर जम्बू एंड कश्मीर सरकार ने हम लोगों को काम पर लगाया लेकिन भर्ती के बाद राज्य सरकार ने नियम बदल दिए और हमें नियमित नही किया गया। और ये अन्याय जम्बू कश्मीर के लोगो के साथ किया गया इस समस्या के समाधान के लिए हम पीडीपी,कांग्रेस, बीजेपी सब के पास गए किसी ने हमें मना नही किया लेकीन किसी ने इस मामले में मदद भी नही की, हमें अब तक न्याय नही मिला।"
वो आगे कहती है "ऐसे ही कोई युवा गलत रास्ता अख्तियार नहीं करता व्यवस्था मजबूर करती है। सोचिये अगर पढ़ा-लिखा युवा गलत रास्ते पर जायेगा तो कैसे चीजे सुधरेंगी। इस मामले को लेकर हम लोग राज्यपाल से मिले थे उन्होंने हमारी बात सुनी हमें उम्मीद है की वो हमारी समस्या का समाधान करेंगे।"
जम्मू एंड कश्मीर के लेक्चरर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गुरुजीत सिंह ने गाँव कनेक्शन को फोन पर बताया, "पूरे जम्मू एंड कश्मीर में संविदा प्रवक्ता सात साल से लेकर 14 साल तक की नौकरी कर चुके है। भर्ती के समय इन प्रवक्ताओं को सभी मानक जो प्रवक्ता की पोस्ट के लिए जरुरी थे वो जम्मू एंड कश्मीर सरकार ने पूरे कराए गये थे।
वो आगे बताते है " साल 2003 में जम्मू एंड कश्मीर सरकार द्वारा एक पालिसी बनाई गयी थी ,उसका आर्डर संख्या 1301/2003 में सरकार ने लिखा था की जो भी प्रवक्ताओं की नियुक्ति हो रही है उन्हें 3 साल की सेवा के बाद नियमित कर दिया जायेगा। इन सभी प्रवक्ताओं की नियुक्ति एकेडमिक अरेंजमेंट बेसिस पर की गयी थी। उसके बाद सरकार ने फिर पुराने नियम ख़त्म करके जम्मू एंड कश्मीर में संविदा नियम बना दिए। नये संविदा नियमों के मुताबिक सभी संविदा प्रवक्ताओं को ले लिया गया।"
"नए संविदा नियम जिसका आर्डर संख्या 1584-ई डी यू /2003 के तहत सरकार ने कहा की जो भी संविदा प्रवक्ता नौकरी कर रहे है संविदा नियमो के मुताबिक अब इन्हें 7 साल के सेवा पूरी होने के बाद नियमित किया जायेगालेकिन सरकार ने जम्मू एंड कश्मीर में प्रवक्ताओ को अब तक पहले जारी हुए शाशानादेश का लाभ दिया और न ही बाद में जारी हुए संविदा नियम के तहत प्रवक्ताओ को लाभ दिया गया। जबकि आर्डर संख्या 1301 के लिए केंद्र सरकार द्वारा फण्ड जारी किया जा चुका है। साल 2009 में फिर सरकार द्वारा एक शाशानादेश जारी किया गया जिसमे 2003 में भर्ती किये गये संविदा प्रवक्ताओं की सेवाए नियमतिकरण न होने तक जारी रखने की बात की हैं। इससे अलग जम्मू एंड कश्मीर में बाद में हुई संविदा प्रवक्ता की नियुक्तिया या जो अब हो रही है उन प्रवक्ताओ का रिनिवल करने के बजाय सरकार द्वारा नये लोगों की भर्तियों में वरीयता दी गयी हैं जिन्हें फिर बाद में निकाल दिया जायेगा, सरकार यहाँ के युवाओं का यूज एंड थ्रो पॉलिसी के तहत प्रयोग कर रही हैं, "उन्होंने आगे बताया।
इस विषय पर बात करने पर गवर्नर जम्मू एंड कश्मीर के सलाहकार खुर्शीद गनाई ने बताया, "अभी इस पर कुछ सोचा नही गया है इसलिए इस मसले पर अभी कोई बयान नही देना चाहता जैसे ही इस मसले पर कुछ शुरू होगा बता देंगे।"