तीन तलाक: हाईकोर्ट ने कहा, कोई भी पर्सनल लॉ बोर्ड संविधान से ऊपर नहींं 

Update: 2016-12-08 15:27 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

इलाहाबाद (आईएएनएस)। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ क्रूरता करार देते हुए इसे मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उच्च न्यायालय की इस टिप्पणी को शरीयत के खिलाफ बताया है। बोर्ड ने कहा है कि वह इसे शीर्ष अदालत में चुनौती देगा।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गुरुवार को दो याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा कि कोई भी पर्सनल लॉ संविधान से ऊपर नहीं है। पवित्र कुरान में भी तलाक को सही नहीं माना गया है। तीन तलाक मुस्लिम महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। मुस्लिम समाज का एक वर्ग इस्लामिक कानून की गलत व्याख्या कर रहा है।

बुलंदशहर की हिना की याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की एकल पीठ ने यह आदेश दिया। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने तीन तलाक के आधार पर राहत पाने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी। न्यायालय ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय में चल रही है। इसलिए वह कोई फैसला नहीं दे रहा। तीन तलाक को असंवैधानिक कहना उसका 'ऑब्जर्वेशन' है।

उच्च न्यायालय ने बुलंदशहर की हिना और उमर बी की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपना अपना मत रखा। 24 वर्ष की हिना का निकाह 53 वर्ष के एक व्यक्ति से हुआ था, जिसने उसे बाद में तलाक दे दिया। जबकि उमर बी का पति दुबई में रहता है जिसने उसे फोन पर ही तलाक दे दिया था। इसके बाद उसने अपने प्रेमी के साथ निकाह कर लिया था। जब उमर बी का पति दुबई से लौटा तो उसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कहा कि उसने तलाक दिया ही नहीं। उसकी पत्नी ने अपने प्रेमी से शादी करने के लिए झूठ बोला है। इस पर अदालत ने उसे वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के पास जाने का निर्देश दिया।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य खालिद रशीद फिरंगी महली ने उच्च न्यायालय के इस 'ऑब्जर्वेशन' को शरीयत कानून के खिलाफ बताया है। उन्होंने कहा हमारे मुल्क के संविधान ने हमें अपने पर्सनल लॉ पर अमल करने की पूरी आजादी दी है। इस वजह से हम लोग उच्च न्यायालय से सहमत नहीं हैं। पर्सनल लॉ बोर्ड की लीगल कमेटी इस मामले का अध्ययन कर इसके खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील करेगी। तीन तलाक को लेकर केंद्र सरकार और कई मुस्लिम संगठन आमने-सामने हैं। मुस्लिम संगठन सरकार की इस कवायद का विरोध कर रहे हैं।

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