भारत में दुबई से दोगुनी कीमत पर बिक रही है सोलर बिजली

Update: 2016-07-09 05:30 GMT
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लखनऊ। दुबई में प्रति यूनिट सोलर बिजली की कीमत 2 रुपए 20 पैसे है, जबकि भारत में किसानों को प्रति यूनिट सोलर बिजली के लिए करीब दोगुनी कीमत यानि 4 रुपये 34 पैसे देने पड़ रहे हैं। दुबई ने सबसे सस्ती सोलर बिजली देने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है। भले ही तकनीक और अनुसंधान के मामले में हम दुबई से कहीं ज्यादा आगे हों लेकिन भारत में इतनी सस्ती सोलर बिजली मुहैया कराना फिलहाल मुमकिन नहीं लगता।

18 हज़ार गाँवों तक नहीं पहुंची बिजली

देशभर के करीब 18 हज़ार 452 गाँवों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है। इन गाँवों में रहने वाले लोगों को रात में रोशनी के लिए केरोसीन लैंप या मोमबत्ती पर निर्भर रहना पड़ता है, क्योंकि गाँव का हर किसान इतना आर्थिक रूप से इतना काबिल नहीं है कि वो महंगे सोलर पैनल इंस्टॉल कर सके। ऊपर से इसकी कीमत करीब साढ़े चार रुपये है।

दुबई में सोलर बिजली इतनी सस्ती कैसे ?

दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की सीनियर प्रोफ़ेसर वनीता त्रिपाठी कहती हैं, ''दुबई इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड की तुलना भारत से नहीं कर सकते हैं। क्योंकि दुबई और भारत का कारोबारी ढांचा बिलकुल अलग है। दुबई इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड अपने किए गए खर्चों पर सिर्फ़ 10 फीसदी का ही मुनाफ़ा मांगती है लेकिन भारत में इसके उलट है यहां हर किसी को ज्यादा से ज्यादा मुनाफ़ा चाहिए।''

भारतीय कारोबारियों को ज्यादा मुनाफ़ा चाहिए

दुबई में बिजली सस्ती होने की एक बड़ी वजह है वहां का कारोबारी माहौल है। दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की सीनियर प्रोफ़ेसर वनीता त्रिपाठी के मुताबिक़, ''भारतीय कारोबारी अपने कारोबार से 18 से 20 फीसदी तक मुनाफ़े का लक्ष्य रखते हैं जबकि विदेशी कारोबारियों का मुनाफ़ा लक्ष्य इसके मुक़ाबले काफ़ी कम होता है। दुबई में सोलर बिजली सस्ती होने की ये भी एक बड़ी वजह है।

दुबई में टैक्स दरें कम

टैक्स की दरें काफ़ी हद तक वस्तु और सेवाओं की कीमतें तय करती हैं। दुबई में इस तरह के प्रोजेक्ट्स के लिए लंबी अवधि के कर्ज़ पर ब्याज दरें काफ़ी कम हैं। सिर्फ़ इतना ही नहीं दुबई में निवेशकों और कारोबारियों को लंबी अवधि का इनकम टैक्स हॉलिडे यानि लंबे वक्त तक आयकर में छूट की योजना का भी लाभ मिलता है। भारत में कॉस्ट ऑफ फाइनेंस करीब 12 फीसदी है जबकि दुबई में इसकी दर सिर्फ 6 फ़ीसदी है।

नेडा उत्तर प्रदेश के प्रोजेक्ट इकोनॉमिस्ट मुकुल दवे बताते हैं, ''कीमत इस बात पर भी निर्भर करती है कि सोलर बिजली का उत्पादन कितने बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। बड़ी तादात में उत्पादन करने की वजह से कॉस्टिंग थोड़ी कम हो जाती है। इसके अलावा सरकारी टैक्स और कर्ज़ की सस्ती दरें भी दुबई में सस्ती सोलर बिजली की वजह हो सकती हैं।''

कमीशनखोरी भी बड़ी वजह

भारत में सोलर बिजली महंगी और दुबई में सस्ती होने की सिर्फ़ एक वजह है पहली नियत और दूसरी प्राइवेट कंपनियों को मुनाफ़ा पहुंचाने की कोशिश। निजी क्षेत्र को फायदा पहुंचाने की कोशिश की वजह से कीमतों में इज़ाफ़ा हो जाता है। ये सारा कमीशन का खेल है अगर सरकार चाहे में इसमें पारदर्शिता ला सकती है। सुविधाएं महंगी होने की वजह हमारी टैक्स संरचना भी है।

सूरज की किरणें भी हो सकती हैं वजह

दुबई में सोलर बिजली सस्ती होने की वैज्ञानिक वजह भी हो सकती है। भारत के मुकाबले दुबई में सूरज की तपिश कहीं ज्यादा है। दुबई में एक मेगावॉट का सोलर प्लांट 20 लाख यूनिट बिजली पैदा कर सकता है जबकि भारत में करिब 16 लाख यूनिट। कम उत्पादन भी सोलर बिजली के महंगे होने की वजह हो सकती है।

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