छुट्टे के लिए बैंकों में भटक रहे दूल्हे, कार्ड पर लिखवाया-न्योते में न दें 500 और 1000 की नोट

Update: 2016-11-13 15:02 GMT
शादियों के लिए बांटे जा रहे कार्ड पर चस्पाई जा रही है सूचना।

लखनऊ। कालाधन रखने वालों पर लगाम कसने के लिए यूं तो केंद्र सरकार ने साहसिक कदम उठाया है। हालांकि, इस समय जनता छोटी करेंसी पाने के लिए बेबस हो गई है। सहालगों के दौर में आलम ये है कि दूल्हा घोड़ी पर चढ़ने के बजाए हल्दी लगाए बैंक में करेंसी चेंज कराने की कवायद में जद्दोजहद कर रहा है। अचानक ही देश में करेंसी के विमुद्रीकरण के बाद से एक से बढ़कर एक अजूबे देखे जा रहे हैं। अब तो लोगों ने शादियों के कार्ड पर भी यह लिखवाना शुरू कर दिया हे कि वे न्योते में 500 और 1000 रुपए की नोट न दें।

मेडिकल स्टोर्स की मनमानी सह रहे तीमारदार

इस बीच अस्पताल के आस-पास स्थिति काफी दयनीय नजर आ रही है। अपनों इलाज कराने के लिए तीमारदार मेडिकल स्टोर्स की मनमानी सहने को मजबूर हैं। इस बीच कहीं शादियां अटकी हैं तो किसी की जिंदगी दांव पर है। सरकार ने एक हजार और पांच सौ की नोट का चलन बंद तो कर दिया, लेकिन इससे होने वाली दुश्वारियों से निपटने के इंतजाम ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा परेशानी उन लोगों को हो रही है जिनके परिवार में शादी है, क्योंकि सरकार की ओर से एक निश्चित धनराशि निकालने की सीमा तय कर दी गई है। ऐसे में दूल्हा शादी की तैयारियों के बजाय बैंक के बाहर लाइन लगाए हुए है। वहीं जिन परिवारों को लड़की की शादी करनी है, वो भी सब कुछ छोड़कर बैंक और डाकघरों के आगे नोट बदलवाने के लिए लाइन लगाए हैं।

दूल्हा तीन दिन से काट रहा बैंक के चक्कर

राजधानी के खदरा निवासी मोहित कुमार (27 वर्ष) जो पेशे से वकील हैं। 27 नवंबर को उनका तिलक है। चार दिसंबर को उनकी शादी है। मोहित बताते हैं, “ऐसे में नोट बंदी का फैसला आने के बाद खरीदारी के लिए घर में रखा कैश बैंक में जमा तो करा दिया है, लेकिन अब नए नोट लेने के लिए तीन दिन से बैंक में लाइन लगा रहा हूं।” वे बताते हैं, “सरकार ने सप्ताह में 20 हजार रुपए से ज्यादा निकालने पर पाबंदी लगा दी है। अब सारी खरीदारी रुकी पड़ी है। अभी हलवाई को एडवांस देना है। शादी में कम से कम तीन लाख रुपए का खर्च है। समझ में नहीं आ रहा कि शादी कैसे पार होगी।”

वर पक्ष ने दी बेटी के बाप को राहत

वहीं, मड़ियांव में रहने वाले राम सागर शुक्ल की बेटी की शादी 23 नवंबर को है। वे बाराबंकी में किसानी करते हैं। अभी तक वह आलू की बुवाई में जुटे थे। इसलिए बेटी की शादी का कोई इंतजाम नहीं कर पाए। रामसागर बताते हैं, “घर में कुछ कैश रखा है, लेकिन पुराने नोट कोई दुकानदार नहीं ले रहा है। शनिवार को मैं बैंक में कैश जमा कराने गया था लेकिन भीड़ ज्यादा होने के कारण नोट वापस नहीं हो सके।” वे कहते हैं, “हालांकि ससुराल पक्ष ने तसल्ली दी है कि रुपए की चिंता करने की जरूरत नहीं है। जो कुछ संभव हो उसी में शादी कर दें, लेकिन केन्द्र सरकार को शादी वाले परिवारों को धनराशि निकालने की सीमा बढ़ानी चाहिए।”

‘केंद्र सरकार के फैसले ने तोड़ा लोगों का मन’

सुल्तानपुर निवासी नंदलाल (30 वर्ष) मुंबई में नौकरी करते हैं। वे बताते हैं, “मेरी शादी दो दिसम्बर को होनी है। दस हजार रुपए ही गहने के लिए एडवांस दिए गए बाकी खरीददारी सुल्तानपुर में करनी थी। अब मेरे पास पांच सौ और एक हजार के नोट ही बचे हैं, जिन्हें बदलने की लिए दो दिन से बैंक में लाइन लगा रहा हूं।” वे आगे बताते हैं, “भीड़ इतनी ज्यादा है कि नोट नहीं बदल पाए और एटीएम में भी बहुत भीड़ लगती है।” बहरहाल, केन्द्र सरकार के आश्वासन के बाद भी लोगों की आस टूटती जा रही है। अब तो लोगों का यही कहना है कि इस समस्या से कैसे बाहर निकला जाए?

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