तहसील नजदीक होने से लोगों की जिंदगी हो रही आसान

Update: 2016-07-06 05:30 GMT
gaonconnection

कानपुर देहात। जुलाई आते ही कई गाँवों के लोगों की परेशानी बढ़ जाती, क्योंकि इस महीने में सैकड़ों बच्चों का आय-जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए पचास किमी. दूर अकबरपुर तहसील जाना पड़ता और हजारों रुपए अलग लगते, लेकिन अब वहां के लोगों की जिंदगी आसान हो गयी है।

कानपुर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किमी. दूर राजपुर, बैरी दरियांव, संभरपुर, सूरजपुर, लालपुर जैसे 300 गाँवों के लिए अब तहसील जाना मुश्किल का काम नहीं रह गया है। अब उनकी तहसील पास में ही बैरी दरियांव गाँव में बन गयी है। बैरी दरियांव के रहने वाले अतुरुज शर्मा (46 वर्ष) बताते हैं,

“पूरी जिन्दगी तहसील के कामों के लिए अकबरपुर जाना पड़ता था, जितने का काम नहीं उससे ज्यादा पैसे खर्च हो जाते थे, अब गाँव में तहसील आ जाने से हमारे बच्चों को अपने जरूरी कागजात बनाने के लिए भटकना नहीं पड़ता।” 15 अगस्त 2015 को मैथा ब्लॉक के सम्भरपुर गाँव में तहसील का अस्थायी संचालन शुरू हो गया था। स्थाई तहसील कहां बनेगी ये सुनिश्चित होने में पूरे 10 महीने लगे। इस पर लंबे समय से विवाद भी चल रहा था। 

स्थानीय लोग नजदीक तहसील होने से बहुत खुश हैं। समय की बचत के साथ पैसा तो बचेगा ही, साथ ही काम भी बहुत आसानी से पूरा हो जाएगा। अब महिलाएं भी तहसील दिवस में अपनी समस्याएं रख पाएंगी।

तहसील के वकील हरनाम (35 वर्ष) कहते हैं, “यहां पर तहसील शुरू होने से छोटे-मोटे लड़ाई-झगड़े के जो मुकदमे होते हैं, अब उनकी जमानत यहीं पर आसानी से हो जाती है। 

तहसील दूर होने की वजह से पहले लोग घरेलू बंटवारे आपस में ही निपटाने की कोशिश करते थे, जिससे महीनों विवाद चलता था, लेकिन अब तहसील पास में होने वो कानूनी कार्रवाई करते हैं।” अब बच्चे खुद ही तहसील में जाकर अपने प्रमाण पत्र बनवा सकते हैं, अब उन्हें अभिभावक के ऊपर आश्रित नहीं होना पड़ेगा।

बस्ता कालोनी के रहने वाले राम खेलावन (50 वर्ष) अब बहुत खुश हैं। वो कहते हैं, “पहले दलाल हमें अपने चंगुल में फंसा लेते थे और हजारों रुपए वसूल लेते थे। पास में तहसील होने से दलालों के चंगुल से निजात मिल रही है। पहले दिनभर की मजदूरी का भी नुकसान होता था। अब तहसील के पास आने से दिन नहीं खराब होता है।”

स्वयं वालेंटियर: उमा शर्मा

स्कूल: प्रखर प्रतिभा इन्टर कॉलेज

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

Similar News