तीसरी क्लास फेल कवि हलधर नाग पद्मश्री से सम्मानित, प्रतिभा

Update: 2016-03-31 05:30 GMT
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नई दिल्ली। सोमवार को हलधर नाग को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पद्मश्री से सम्मानित किया। कोसली भाषा में लिखने वाले 66 साल के कवि हलधर नाग ने तीसरी कक्षा तक भी पढ़ाई नहीं की लेकिन पीएचडी करने वाले पांच छात्रों ने उनकी कविताओं को अपने रिसर्च का विषय बनाया है।

पद्म अवॉर्ड्स के ऐलान के बाद अक्सर सोशल मीडिया पर इसी तरह की बहस चालू हो जाती है कि अमुख व्यक्ति पद्म सम्मान के काबिल नहीं था या फिर मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स के साथ अच्छे ताल्लुकात की वजह से उसे पद्म सम्मान मिला है। लेकिन वहीं दूसरी ओर हलधर नाग जैसे कवियों को पद्म सम्मान मिलने के बाद इस तरह की बहस फिजूल और कोरी बकवास लगती है।

हलधर नाग को अपनी सभी कविताएं और 20 महाकाव्य कंठस्थ हैं जिन्हें उन्होंने लिखा है और अब संबलपुर यूनिवर्सिटी हलधर की रचनाओं को किताब के रूप में  लाने की योजना बना रही है जिसे यूनिवर्सिटी के सिलेबस में भी शामिल किया जाएगा।

हलधर ने कहा कि उन्हें देखकर अच्छा लगता है कि नौजवान कोसली भाषा में लिखी उनकी कविताओं को पसंद करते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि हर शख्स कवि होता है मगर कुछ ही लोग उसे शब्दों के जरिए आकार दे पाते हैं। हलधर ने कभी किसी भी तरह का जूता या चप्पल नहीं पहना है। वो बस एक धोती और बनियान पहनते हैं।

वो कहते हैं कि इन कपड़ो में वो अच्छा और खुला महसूस करते हैं। साल 1950 में ओडिशा के बरगाह जिले के घींस गाँव के एक गरीब परिवार में जन्मे हलधर को तीसरी कक्षा में ही पढ़ाई छोड़कर काम करना पड़ा क्योंकि उनके पिता की मृत्यु हो गई थी।

हलधर के मुताबिक उन्होंने पास ही की एक मिठाई की दुकान में बर्तन मांजने का काम शुरू कर दिया ताकि वो अपने परिवार की आर्थिक तौर पर सहायता कर सकें। दो साल के बाद गाँव के सरपंच ने हलधर को पास ही के एक स्कूल में खाना पकाने के लिए नियुक्त कर लिया जहां उन्होंने 16 साल की उम्र तक काम किया।

हलधर बताते हैं कि इसी दौरान उनके इलाके में कई नए स्कूल खुले और उन्होंने बैंक से 1000 रूपये का लोन लेकर अपनी दुकान शुरू की जहां उन्होंने स्टेशनरी और खाने पीने की चीजें बेची जाती थी। 1990 में हलधर ने पहली कविता धोधो बारगाजी नाम से लिखी जिसे एक स्थानीय मैगजीन ने छापा और उसके बाद हलधर की सभी कविताओं को मैगजीन में जगह मिलती रही और वो आस पास के गाँव से भी कविता सुनाने के लिए बुलाए जाने लगे।

लोगों को हलधर की कविताएं इतनी पसंद आईं कि वो उन्हें लोक कवि रत्न के नाम से बुलाने लगे। हलधर समाज, धर्म, मान्यताओं और बदलाव जैसे विषयों पर लिखते हैं। उनका कहना है कि कविता समाज के लोगों तक संदेश पहुंचाने का सबसे अच्छा तरीका हैं।

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