तलाबों की ज़मीन पर अवैध कब्जा

Update: 2016-06-26 05:30 GMT
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लखनऊ। एक तरफ सरकार तालाबों को बचाने की कोशिश में जी-जान से लगी है तो वहीं दूसरी ओर राजधानी और इसके आसपास के इलाकों में तालाबों की जमीन पर कब्जे का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गाँवों के कुछ दबंग तालाबों को पाटकर उस पर अवैध निर्माण करा रहे हैं। 

दबंग तालाब की जमीन कब्जा करने के लिए धर्मिक स्थलों को सहारा भी ले रहे हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पार्कों में धार्मिक निर्माणों को रोका जाए। इससे पहले भी उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दिए थे कि प्राकृतिक स्रोतों को उनके मूल स्वरूप में लाया जाए।

आश्चर्य की बात यह है कि यह कब्जे लेखपाल और पुलिस की मदद से हो रहे हैं। तालाबों पर अवैध कब्ज़ों के आगे सरकारी अमला बेबस नज़र आ रहा है और अपने ही लिए फैसलों पर उसे यू-टर्न ले रहा है।

केस एक

गाजीपुर स्थित ग्राम इस्माइल गंज में खसरा संख्या 1097 पर 3.819 हेक्टेअर की नगर निगम की तलाब की ज़मीन पर अवैध कब्जा कर लिया गया था, जिसकी एफआईआर चार जनवरी 2016 को गाजीपुर थाने में दर्ज कराई गयी थी। मुकदमा दर्ज होने के बाद 22 जून को इसे तोड़ने के आदेश दिए गए थे। कब्जेदार इन्द्रजीत सिंह पुलिस का आरक्षी था, इस वजह से 6 जनवरी को 2016 को एसएसपी को भी पत्र लिखा गया। लेकिन 22 जून को तालाब पर अवैध कब्जा हटाने गई टीम बिना कार्रवाई के ही बेरंग लौट आई। 

केस दो

इससे पहले भी तलाबों पर कब्जे होते रहे हैं और नगर निगम खामोश बैठा रहा। जानकीपुरम वार्ड स्थित गाँव सिकंदरपुर इनायत अली में तालाब की जमीन पर अवैध रूप से मंदिर की आड़ में कब्जा किया जा रहा है। खास बात यह है कि इसकी जानकारी नगर निगम के संपत्ति विभाग को है। फिर भी विभाग कब्जा हटाने में असहाय साबित हो रहा है।

केस तीन

गुडंबा में तालाब के जमीन पर सजीवन रावत अवैध निर्माण करा रहा है। इस विषय में क्षेत्रीय पार्षद का कहना है, “कब्जेदारों को न नगर निगम की कार्रवाई का डर है और न ही पुलिस का। आलम यह है कि इससे पहले भी सजीवन, लल्लन, जदुराई और राजू के खिलाफ अवैध रूप से निर्माण करने पर नगर निगम की ओर से गुड़ंबा थाने में एफआईआर लिखाई गई थी। एफआईआर दर्ज होकर रह गई और आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे उनके हौसले बुलंद हो गए हैं।” उन्होंने आगे बताया कि नगर निगम के संपत्ति विभाग में नायाब तहसीलदार सहित लेखपाल को भी इसकी जानकारी है। लेकिन इन अवैध कब्जों को अभी तक रोका नहीं जा सका है।

रिपोर्टर - दरख्शा कदीर सिद्दीकी

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