यूपी विधानसभा चुनाव में ट्रंप कार्ड बन सकते हैं 60 हजार प्रधान, हर प्रत्याशी लुभाने में जुटा

Update: 2017-02-04 13:00 GMT
ग्राम पंचायत का विकास कराने के नाम पर प्रत्याशी दे रहे प्रलोभन।

लखनऊ। विधानसभा चुनाव में दावेदारी ठोंक रहे प्रत्याशी आजकल ग्रामीणों और खासकर ग्राम प्रधानों का समर्थन पाने लिए जुगत भिड़ा रहे हैं। प्रत्याशी गाँव का विकास कराने के लिए तमाम तरह के प्रलोभन भी प्रधानों को दे रहे हैं।

प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत का रास्ता ग्राम पंचायत से होकर गुजरता है। उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 275 सीटों पर गाँव के मतदाताओं की सीधी दखल है। गाँव के वोटरों को लुभाने के लिए प्रदेश के 59163 ग्राम प्रधानों की ताकत को चुनाव लड़ने वाले बखूबी समझ रहे हैं।

घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है, सुबह से ही चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार और उनके समर्थक गाँव में डेरा डाल देते हैं। एक प्रत्याशी गया नहीं कि दूसरा धमक पड़ता है। सभी यही कहते हैं कि एक बार पूरे गाँव में मेरा प्रचार करा दीजिए।
ज्ञानेन्द्र सिंह, प्रधान, मुड़ी बसाकपुर गाँव, बुलंदशहर

दो साल पहले हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जीत दर्ज करके प्रधान बने लोगों का अपने गाँव के मतदाताओं पर बड़ा असर है जिससे प्रत्याशियों को लगता है कि अगर प्रधान उनके पक्ष में आ गए तो गाँव का अधिकतर वोट उन्हें मिल जाएगा।

नामांकन करने के बाद से सपा, बसपा और बीजेपी के उम्मीदवार गाँव आते ही सबसे पहले प्रधान को खोजना शुरू कर देते हैं। सभी यही चाहते हैं कि किसी तरह मैं गाँव के लोगों का वोट दिला दूं।
ब्रज किशोर तिवारी, ग्राम प्रधान, टिकरा तिवारी गाँव, ललितपुर

प्रधानों के अलावा गाँव के वोटरों से सीधे जुड़ाव रखने वाले बीडीसी, ब्लाक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य और जिला पंचायत अध्यक्षों का भी समर्थन हासिल करने के लिए उम्मीदवार जोर लगा रहे हैं। गोरखपुर जिले के खजनी ब्लाक के सैरो गाँव के प्रधान सत्यवीर यादव कहते हैं कि सभी प्रत्याशी चाहते हैं कि गाँव में उनका झंडा बैनर और पोस्टर लगे। हम उनके लिए प्रचार करें और चुनाव के दिन वोट दिलाएं। लेकिन हम लोग सोच-समझकर ही फैसला करेंगे।

व्यक्तिगत संबंधों की दी जा रही दुहाई

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव दलीय आधार पर नहीं हुए थे जिसके कारण जो प्रधान चुने गए हैं वह किसी एक पार्टी के नहीं हैं। इस कारण प्रत्याशी व्यक्तिगत संबंधों की दुहाई दे रहे हैं। लखनऊ जिले के अरम्बा गाँव के प्रधान राजेन्द्र कुमार ने बताया, ‘’ हम किसी दल-विशेष से नहीं जुड़े हैं। ग्राम प्रधानों को अपने अधिकार के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा है। सभी पार्टी के उम्मीदवार गाँव में वोट मांगने के लिए हमारे पास आ रहे हैं लेकिन गाँव वालों ने अभी किसी को समर्थन देने की बात नहीं कही है।’’

हारे हुए ग्राम प्रधानों की भी बल्ले-बल्ले

चुनाव हारने वाले ग्राम प्रधानों का भी गाँव में अच्छा खास वोट बैंक है। इसी वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए उम्मीदवार इनके घर भी दस्तक दे रहे हैं। सैरो गाँव प्रधानी के चुनाव में दूसरे नंबर पर रहने वाले सतपाल यादव ने कहा, ‘’ गाँव में मेरे पास अभी भी लोगों का समर्थन है। विधानसभा प्रत्याशी मेरे घर भी आ रहे हैं। अभी मैं सबकी सुन रहा रहा हूं। फैसला अंतिम समय पर किया जाएगा।’’

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