यूपी के 4000 गावों में होंगी ‘अलाव सभाएं’

Update: 2016-12-27 22:03 GMT
प्रतीकात्मक फोटो।

लखनऊ (आईएएनएस)| यूपी में विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आता जा रहा है, राजनीतिक दलों की ओर से तरह-तरह के कार्यक्रमों की घोषणा की जा रही है। नोटबंदी के बाद उपजे हालात और इसको लेकर किसानों और मजदूरों का मन टटोलने के उद्देश्य से भारतीय जनता पार्टी पूरे प्रदेश में अलाव सभाओं का आयोजन करने जा रही है। इसकी शुरुआत चार जनवरी से होगी।

भाजपा और इसके मार्गदर्शक संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सूत्र बताते हैं कि मुख्यतौर पर नोटबंदी के बाद फैले भ्रम को लेकर अलाव सभाओं का आयोजन होगा। पार्टी के नेता समझ नहीं कर पा रहे हैं कि नोटबंदी का दर्द सहने के बाद लोगों का रुझान किस ओर है। वह केंद्र सरकार के फैसले के साथ हैं या खिलाफ । यानी प्रधानमंत्री का यह कहना कि देश की सवा सौ करोड़ जनता उनके साथ है, यह पार्टी के नेताओं और संघ को भी 'जुमला' की तरह लगता है।

सभा से सरकार की कमियां उजागर करेगी भाजपा

इस महाअभियान की शुरुआत खासतौर से ग्रामीण इलाकों की रीढ़ माने जाने वाले किसान व मजदूरों को लक्ष्य बनाकर की जा रही है। पार्टी के नेताओं का हालांकि दावा है कि इन सभाओं के माध्यम से वह सरकार की कमियों को उजागर करने का काम करेगी। इन अलाव सभाओं के बाद जिला स्तर पर माटी, तिलक व प्रतिज्ञा बैठकों का आयोजन किया जाएगा।

पार्टी के मीडिया प्रभारी हरीश श्रीवास्तव ने बताया कि यह महाअभियान किसानों व मजदूरों के लिए चलाया जा रहा है। किसान महाअभियान का फैसला प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश प्रभारी ओम माथुर की सहमति से लिया गया। उप्र की 343 विधानसभा क्षेत्रों में अलाव सभाओं का आयोजन किया जाएगा।

अलाव सभा सभी 75 जिलों में होगी

उन्होंने बताया कि सभी अलाव सभाओं का आयोजन सभी 75 जिलों में किया जाएगा। यह 13 जनवरी तक चलेगा। अलाव सभाओं के पूरा होने के बाद सभी जिलों में माटी, तिलक, प्रतिज्ञा सभाओं का आयोजन किया जाएगा। संघ के सूत्रों के मुताबिक, दरअसल नोटबंदी के बाद जिस तरह का माहौल उप्र में बना है, उससे भाजपा के शीर्ष नेताओं के साथ ही संघ भी चिंतित है। संघ को भी यह समझ में नहीं आ रहा है कि नोटबंदी का ऊंट उप्र में विधानसभा चुनाव के दौरान किस करवट बैठेगा। यदि मामला उलटा पड़ा तो भाजपा की सत्ता में वापसी का ख्वाब बिखर जाएगा।

संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि संघ भी यह चाहता है कि समय रहते ग्रामीण इलाकों में इसके 'फीडबैक' को भांप लिया जाए, ताकि समय रहते नोटबंदी के फायदे के बारे में लोगों को समझाया जा सके। संघ का मानना है कि शहरी इलाकों में हमेशा से उसकी पकड़ रही है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में पकड़ बनाए बिना मिशन 2017 की जंग जीतना असंभव है, इसीलिए भाजपा को साफतौर पर किसानों और मजदूरों के बीच जाने का निर्देश दिया गया है।

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