सरकार बदलते ही निशाने पर आते हैं ब्लॉक प्रमुख

Update: 2017-03-16 21:33 GMT
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अजय मिश्रा (स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क)

कन्नौज। निजाम बदल गया है। ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर आसीन लोगों की धुकधुकी तेज होने लगी है। इन दोनों पदों पर ऐसे लोग बैठते हैं, जो सत्ता के साथ चलते हैं।

सूबे में भाजपा गठबंधन ने 325 विधानसभा सीटें पाई हैं। केवल भाजपा के 403 में 312 विधायक हैं। जल्द ही मुख्यमंत्री और मंत्रीमंडल का शपथ ग्रहण भी हो जाएगा। कन्नौज जिले में कन्नौज सदर, गुगरापुर, जलालाबाद, तालग्राम, छिबरामऊ, सौरिख, उमर्दा और हसेरन कुल आठ ब्लॉक हैं। सभी में सपा समर्थित ब्लॉक प्रमुख हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर भी सपा समर्थित संजू कटियार की पत्नी शिल्पी कटियार की ताजपोशी हुई थी।

इससे पहले बसपा सरकार में 2007 के बाद मुन्नी अंबेडकर जिला पंचायत अध्यक्ष थीं, लेकिन सपा सरकार आते ही उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया। सपा के सदर विधायक अनिल दोहरे की पत्नी सुनीता दोहरे जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर विराजमान हुईं, हालांकि अब मुन्नी अंबेडकर सपा में ही हैं। बाद में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सीट आरक्षित वर्ग से पिछड़ा वर्ग की हो गई। जिस वजह से शिल्पी कटियार को सपा ने प्रत्याशी बनाया। भाजपा के महेश शास्त्री चुनाव हार गए थे। ब्लॉक प्रमुख पदों पर कहीं चुनाव हुआ तो कहीं निर्विरोध निर्वाचन हुआ।

उमर्दा ब्लॉक में इस समय इंद्रेश यादव प्रमुख पद पर हैं। यहां पर अजय वर्मा का वर्चस्व रहा है। वह सपा में ही थे, लेकिन उनका पर्चा वापस कराकर कार्यवाहक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इंद्रेश को ब्लॉक प्रमुख बनवा दिया था। अजय वर्मा का कहना है कि उनको दर्जा प्राप्त मंत्री बनाने या कहीं अच्छी जगह समायोजित करने का आश्वासन दिया गया था। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और विधानसभा चुनाव के दौरान वह भाजपा में शामिल हो गए। खास बात यह भी है कि आठ में छह ब्लॉक प्रमुख पदों पर एक ही वर्ग के लोगों का कब्जा है। जो दो प्रमुख पद बचे हैं वहां आरक्षण की वजह से अनुसूचित जाति के लोग काबिज हुए। उनमें हसेरन और गुगरापुर ब्लॉक शामिल हैं।

सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी विनीत कटियार ने प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष पद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए जाने के बाबत कहा कि दो साल बाद किसी के भी खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है। चाहे वह निर्विरोध निर्वाचित ही क्यों न हो। दूसरी ओर भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र राजपूत का कहना है कि पहले शपथ ग्रहण होने दीजिए, उसके बाद सब अच्छा ही होगा।

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