सपा में दिवाली के बाद फिर छिड़ सकता है संग्राम

Update: 2016-10-29 22:41 GMT
अखिलेश यादव, मुख्यमंत्री

लखनऊ (आईएएनएस)| सपा में मुलायम परिवार में एक महीने से अधिक समय तक जनता के सामने चली लड़ाई के बाद फिलहाल युद्धविराम है, लेकिन हो सकता है दिवाली के बाद चिनगारी फिर भड़के।

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लेने में, फाइलों पर हस्ताक्षर करने में और बैठकों की अध्यक्षता करने में व्यस्त हैं। उनके चाचा और प्रदेश के पार्टी प्रमुख शिवपाल सिंह यादव पुराने समाजवादी साथियों को जो अलग थलग पड़े थे, उनके साथ नेटवर्क तैयार करने और सत्तारूढ़ पार्टी को सजाने-संवारने में लगे हुए हैं। उनकी मंशा बिहार की तर्ज पर महागठबंधन करने की है।

मोदी और भाजपा को हराने की बना रहे रणनीति

पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के आदेश पर शिवपाल हाल ही में दिल्ली गए और समाजवादी आंदोलन के कुछ पुराने क्षत्रपों से मिले। मेल-मिलाप का कारण तो पांच नवंबर को समाजवादी पार्टी के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित रजत जयंती समारोह में उन्हें आमंत्रित करना था, लेकिन जानकार सूत्रों का कहना है कि असल मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भाजपा को किस तरह हराया जाए, इसकी रणनीति तैयार करना था।

शिवपाल खुलेआम मुलायम सिंह से मुख्यमंत्री बनने का आग्रह कर रहे हैं और चाहते हैं कि वर्ष 2017 का उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव मुलायम के नेतृत्व में लड़ा जाए और एकजुट होकर 'जनता परिवार' बनाया जाए। सपा के रजत जयंती समारोह में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह को निमंत्रण भेजा जा रहा है।

मुलायम के एक सहयोगी ने बताया कि सपा प्रमुख ने यह महसूस किया है कि पार्टी के अंदर इतनी गुटबाजी के बाद अब चुनाव के बाद अखिलेश यादव के नेतृत्व में सत्ता में लौटना आसान नहीं होगा। मुलायम सिंह ने अपने चचेरे भाई रामगोपाल यादव पर महागठबंधन न होने देने का दोषी करार दिया है और शिवपाल यादव ने कहा है कि रामगोपाल ने यह भारतीय जनता पार्टी के साथ साठगांठ करके किया।

कभी पुराने प्रतिद्वंद्वी रहे लालू प्रसाद अब मुलायम सिंह परिवार के रिश्तेदार हैं। उन्होंने घोषणा की है कि उनकी पार्टी उत्तर प्रदेश चुनाव में अपने प्रत्याशी नहीं उतारेगी। शुरू में ना-नुकुर करने के बाद अखिलेश यादव ने पांच नवंबर के कार्यक्रम में भाग लेने की स्वीकृति दे दी है।

प्रचार वीडिया में नेता जी और चाचा गायब

एक अमेरिकी विशेषज्ञों की टीम द्वारा तैयार किए गए दो वीडियो प्रसारित भी हो चुके हैं, जिनमें अखिलेश यादव की छवि परिवार को चाहने वाले और राज्य के मेहनती मुख्यमंत्री के रूप में दिखाने की कोशिश की गई है। संयोग से इन दोनों वीडियो में न तो इनके पिताजी और न ही चाचा को दिखाया गया है।

अखिलेश के अधिकांश समर्थकों को पार्टी से निकाल दिया गया है, वे अब भी अखिलेश को जनता की पहली पसंद बताने में लगे हुए हैं। अखिलेश और उनके समर्थक मुलायम के लंबे समय से विश्वासपात्र अमर सिंह को पार्टी से निकालने की मांग कर रहे हैं। वे यह भी मांग कर रहे हैं कि रामगोपाल यादव और विधान परिषद के युवा सदस्यों का निष्कासन वापस लिया जाए।

शिवपाल यादव ने अयोध्या के विधायक और वन राज्यमंत्री तेज नारायण उर्फ पवन पांडेय को पार्टी से निकाल दिया है। इसके बावजूद अखिलेश यादव ने अपने इस समर्थक को मंत्रिमंडल में बनाए रखा है। राजनीतिक विश्लेषक दिवाली खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के इस प्रथम परिवार और नेताओं के अंदर इतने अधिक 'विस्फोटक' जमा हैं कि दिवाली के बाद किसी बड़े विस्फोट से इनकार नहीं किया जा सकता।

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