योगी आदित्यनाथ की असली परीक्षा अब

Update: 2017-02-24 15:48 GMT
एक सभा को संबोधित करते योगी आदित्यनाथ।

लखनऊ। गोरखपुर शहर से बाहर निकलते ही चाहे जिस भी गांव या कस्बे में चले जाइए वहां पर भगवा रंग में '' हिंन्दू युवा वाहिनी आपका स्वागत करती है '' का बोर्ड जरूर दिखाई देता है। आम दिनों में लोग इसपर बहुत ध्यान नहीं देते लेकिन चुनाव के समय पूर्वांचल में इस संगठन की गूंज हर जगह सुनाई दे रही है। हालांकि यह संगठन मतदाताओं पर कितना असर रखता है यह तो 11 मार्च के चुनाव नतीजे बताएंगे। लेकिन यूपी विधानसभा के पांचवे और छठवे चरण में होने जा रहे चुनाव में इस संगठन और इसके संरक्षक गोरखपुर के बीजेपी सांसद महंत योगी आदित्यनाथ की अग्निपरीक्षा होने जा रही है।

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पांचवे चरण और छठवें चरण में विधानसभा की जिन कुल 101 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है वहां पर योगी आदित्यनाथ का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है। गोरखपुर, बलरामपुर, गोंडा, बहराइच, श्रावस्ती, बस्ती, संतकबीर नगर, देवरिया, महाराजगंज, कुशीनगर, आजमगढ़ और मऊ वह जिले हैं जहां पर योगी आदित्यनाथ का बीजेपी के समानांतर अपने संगठन हिन्दु युवा वाहिनी का बड़ा आधार है। गांव से लेकर शहरों तक इस संगठन की शाखाएं हैं। ऐसे में बीजेपी के सामने योगी आदित्यनाथ को अपनी ताकत दिखाने की चुनौती है। पिछले विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ की बीजेपी की नाराजगी के कारण इन जिलों में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था। स्थिति यह थी कि आदित्यनाथ के अपने जिले गोरखपुर की 9 विधानसभा सीटों में से बीजेपी का सिर्फ दो सीटें मिली थी। बीजेपी के यह देानों विधायक हिन्दु युवा वाहिनी कार्यकर्ता हैं।

पांचवे चरण में 11 जिलों की जिन 52 सीटों पर 27 फरवरी को मतदान होने जा रहा है उसमें पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने 38 सीटें जीतकर विरोधियों का सफाया कर दिया था। उस चुनाव में बीजेपी का पांच सीटें से संतोष करना पड़ा था। बीजेपी के गढ‍़ माने जाने वाले कई जिलों में बीजेपी का खाता नहीं खुला था लेकिन इस बार बीजेपी को अपनी सीटें कई गुना बढ़ाने की चुनौती है।

हिंदू वाहिनी के कार्यकर्ता

पिछले विधानसभा चुनाव में थी नाराजगी

पिछले विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़े नेताओं के लिए विधानसभा के टिकट की मांग की थी लेकिन बीजेपी से जब टिकट नहीं मिला तो आदित्यनाथ ने काफी नाराजगी जताई। जिसके कारण वह चुनाव प्रचार में सक्रिय नहीं रहे और बीजेपी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। इस बार भी हिन्दू युवा वाहिनी नेता टिकट नहीं मिलने से बागी हो गए थे लेकिन आदित्यनाथ के मनाने के बाद उसमें से कई शांत हो गए हैं। इसके बाद भी कई सीटों पर हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता बीजेपी उम्मीदवारों खेल बिगाड़ने में लगे हैं। गोरखपुर जिले की बासगांव, खजनी, गोरखपुर देहात, कैम्पियरगंज और चिल्लूपार में बीजेपी ने जिन लोगों को टिकट दिया है उनसे हिन्दु युवा वाहिनी के लोग नाराज हैं क्योंकि इसमें से अधिकतर दूसरे दलों से आए लोग शामिल हैं।

योगी की बात नहीं मानने पर शिवप्रताप शुक्ला की हुई थी हार

हिन्दू युवा वाहिनी और योगी आदित्यनाथ की ताकत का इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता कि एक समय जब चार बार के विधायक रहे शिवप्रताप शुक्ला ने आदित्यनाथ की बात नहीं मानी तो उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। साल 2002 के विधानसभा चुनाव में शिवप्रताप शुक्ल के कामकाज से नाराज होकर योगी आदित्यनाथ चाहते थे की उनकी मर्जी का कोई दूसरा उम्मीदवार चुना लड़े लेकिन बीजेपी नेतृत्व ने जब उनकी बात नहीं मानी। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने डाॅ. राधामोहन दास अग्रवाल को हिन्दू महासभा से चुनाव लड़ाया और वह रिकार्ड वोटों से जीतें। इस चुनाव में हिन्दू महासभा के उम्मीदवार डा राधा मोहन दास को जहां 38830 वोट मिलें वहीं बीजेपी उम्मीदवार शिवप्रताप शुक्ला को मात्र 14509 वोटों पाकर चौथे नंबर पर रहे। इसके बाद बीजेपी को आदितयनाथ के सामने झुकना पड़ा।

माना जा रहा है कि इस बार के विधासभा चुनाव में बीजेपी ने पुरानी गलती दोहराते हुए कई सीटों पर ऐसे उम्मीदवार उतार दिए हैं जो महंत आदित्यनाथ की पसंद नहीं हैं, ऐसे उम्मीदवारों को चुनाव हराने के लिए हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता मैदान में आ डटे हैं।, हालांकि योगी आदित्यनाथ की पहल के बाद नाराज कार्यकर्ताओं को मना लिया गया है और सभी बीजेपी के साथ हैं। इस बारे में हिन्दू युवा वाहिनी संयोजक प्रमोद मल्ल कहते हैं '' हमारी किसी से नाराजगी नहीं है। चुनाव में हिन्दू हितों की बात करने वाले को हम सहयोग करते हैं। योगी आदित्यनाथ जो फैसला करते हैं हम लोग उनके साथ हैं ''

साल 2002 में अपनी स्थापना से लेकर 15 साल में हिन्दू युवा वाहिनी इतना ताकतवार हो गया है कि पूर्वांचल में विधानसभा का टिकट पाने से लेकर चुनाव जीतने तक हिन्दू युवा वाहिनी और इसके संरक्षक गोरखपुर के बीजेपी सांसद महंत आदित्यनाथ के दरबार में हाजिरी लगानी पड़ती है। इस बारे में गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार मनोज सिंह ने कहा '' हिन्दू युवा वाहिनी योगी आदित्यनाथ की देखरेख में चलने वाला बीजेपी और आरएसएस के समानांतर एक संगठन है। पूर्वांचल के गांव-गांव में इस संगठन की शाखाएं हैं। बड़ी संख्या में इसमें युवा जुड़े हैं जो इस संगठन की ताकत है। '' उन्होंने बताया कि इस संगठन की बदौलत ही महंत योगी आदित्य नाथ बीजेपी के नेताओं को समय-समय पर आंखे भी दिखाते रहते हैं।

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