पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर जाट समुदाय का दबदबा, एथनिक पहचान बचाने के लिए एकजुटता की कोशिश

Update: 2017-02-10 12:12 GMT
पश्चिमी यूपी में बिछ चुकी है चुनाव की बिसात। 

लखनऊ/ मेरठ। राजस्थान विधानसभा में खींवसर सीट से विधायक हनुमान बेनीवाल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, बागपत, संभल, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, शामली और बिजनौर जैसे दर्जनों जिलों में आजकल ताबड़तोड़ चुनावी रैली कर रहे हैं। हर एक चुनावी सभा में वह जाट की अस्मिता की पहचान बात करते हुए राष्ट्रीय लोकदल को वोट देने की अपील कर रहे हैं।

राजनीतिक रूप से जाट हाशिए पर हैं। बीजेपी सरकार ने हमारे समाज को धोखा दिया है। हमारे लिए यही सबसे बड़ा मुद्दा है।
यशपाल मलिक, अध्यक्ष, अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति

पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 73 सीटों पर 27 फीसदी मुसलमान वोटरों के बाद 17 फीसदी वोटों के साथ सबसे निर्णायक वोटर है। यहां के 10 से ज्यादा जिलों में जाट आबादी 40 प्रतिशत से ऊपर है। ऐसे में जाटलैँड के नाम से पहचान रखने वाला यह क्षेत्र सभी पार्टियों के निशाने पर है।

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समित के अध्यक्ष यशपाल मलिक भी अपने साथियों के साथ घर-घर जाकर जाट वोटरों को यह समझा रहे हैं कि यह चुनाव अपनी ताकत दिखाने और पहचान को बनाए रखने का सही समय है। सभी जाट एकजुट होकर अधिक से अधिक जाटों को विधानसभा भेजें। यशपाल मलिक से जब यह पूछा गया कि इस चुनाव में उनके समाज के लोगों का मुद्दा क्या है तो उन्होंने कहा '' राजनीतिक रूप से जाट हाशिए पर हैं। ऐसे में इस बार हम लोगों को यह बता रहे हैं कि हमारे लिए सबसे जरूरी है हमारी पहचान, हरियाणा से लेकर राजस्थान तक बीजेपी सरकार ने हमारे समाज को धोखा दिया है। हमारे लिए यही सबसे बड़ा मुद्दा है।''

एक चुनावी रैली में जाट समुदाय के लोग।

उत्तर प्रदेश विधानसभा के पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 73 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। जिसमें से 27 फीसदी मुसलमान वोटरों के बाद 17 फीसदी वोटों के साथ सबसे निर्णायक वोटर है। यहां के 10 से जयादा जिलों में जाट आबादी 40 प्रतिशत से ऊपर है। ऐसे में जाटलैँड के नाम से पहचान रखने वाला यह क्षेत्र सभी पार्टियों के निशाने पर है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, बसपा सुप्रीमो मायावती, अखिलेश यादव और राहुल गांधी के साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह यहां पर ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। लेकिन जाट नेता एथनिक पहचान को बड़ा मुद्दा बताकर सभी पार्टियों पर दबाव बनाने का काम कर रहे हैं।

हम जाति पर बहुत ज्यादा यकीन नहीं रखते लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से जाट आंदोलन के प्रति सरकारों का रवैया रहा है उसे हम नाराज हैं।
रागिनी अहलावत, पीआर एजेंसी में काम करने वाली कर्मचारी

नोएडा की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में मीडिया प्लानर की नौकरी करने वाले मेरठ के अब्दुल्लापुर गांव के मनमोहन मलिक ने बताया '' उत्तर प्रदेश में लगभग 1.75 प्रतिशत जाट मतदाता हैं। इसके बार भी पिछले दो विधानसभा चुनावों से जाट विधायकों की संख्या घटती जा रही हैं, लखनऊ की हमारी आवाज अब सुनी नहीं जा रही है ऐसे में हम अब अपने समाज के लिए एकजुट हो रहे हैं।'' गुड़गांव की पीआर एजेंसी में काम करने वाली हापुड़ की रागिनी अहलावत ने बताया '' हम जाति पर बहुत ज्यादा यकीन नहीं रखते लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से जाट आंदोलन के प्रति सरकारों का रवैया रहा है उसे हम नाराज हैं। खेल से लेकर सेना तक में जाट अपनी मेहतन से देश का नाम रौशन कर रहे हैं लेकिन राजनीति में हमारे समाज का प्रतिनिधत्व घट रहा है इसलिए यूपी चुनाव में हम अपनी पहचान को लेकर वोट करेंगे। ''

मुसलमानों में भी हैं जाट-गुर्जर

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट गुर्जर और त्यागी तीन ऐसी जातियां हैं जो हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों में पाई जाती हैं। मुसलिम बने जाटों का मूला जाट, मुसलिम बने त्यागी केा महेसरा और मुस्लिम बने गुर्जर को पोला कहा जाता है। इस बारे में जाट समाज के नेता धर्मपाल मल्लिक का कहना है '' हमारे यहां धर्म से ज्यादा बिरादियों पर ध्यान दिया जाता है। लेकिन राजनीतिक पार्टियों ने वोट के लाचल में हमारे बीच मतभेद पैदा किए हैं।'' जो जाट और गुर्जर मुसलमान बने हैं वह मानते हैं कि उनके पूर्वज हिन्दू थे। ऐसे में इस बार के चुनाव में जाट मुसलमानों को को भी अपने साथ मिलाने के लिए हिन्दू जाट नेता काम कर रहे हैं। इस बारे जाट नेता ओंकार बलियान ने कहा, '' धर्म से भी बड़ा मुद्दा हमारे लिए अपनी पहचान का है। जो जाट मुसलमान भाई हैं वह लोग भी हमारे हैं। हम लोग इस बार अपनी पहचान और भाईचारा को लेकर वोट करेंगे।''

Similar News