‘ तो 52 हजार किसान मित्रों की होगी बहाली’

Update: 2017-02-07 20:23 GMT
किसान मित्रों के प्रदर्शन (फाइल फोटो ) साभार इंटरनेट।

लखनऊ। प्रदेश के 52 हजार किसान मित्रों को बहाल करने की घोषणा भाजपा की ओर से मंगलवार को की गई। 1998 में किसान मित्रों की नियुक्ति की गई थी। ये किसान मित्र कृषकों को खेती, बागवानी, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि विषयों पर उन्नत जानकारी दिया करते थे। मगर इनको बाद में हटा दिया गया था। भाजपा एक बार फिर से इन किसान मित्रों को बहाली का वादा कर रही है।

भारतीय जनता पार्टी प्रदेश मुख्यालय में किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त की अध्यक्षता में हुआ प्रदेश स्तरीय किसान मित्र सम्मेलन में इस बात की घोषणा की गई। किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त ने कहा कि, "भाजपा सरकार बनते ही किसान मित्रों की सेवा बहाली होगी। समाजवादी पार्टी सरकार में किसानों का बड़ा नुकसान हुआ। बसपा का तो वैसे भी किसानों से कोई वास्ता-सरोकार नहीं रहता। उत्तर प्रदेश की सरकार की अदूरदर्शिता और किसानों की अनदेखी का नतीजा है कि प्रदेश के लगभग हर जनपद से युवा भाजपा शासित प्रदेशों में रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं।" मस्त ने कहा कि "भाजपा की सरकार ने 1998 में किसान मित्र योजना का आरम्भ करके किसानों के साथ सीधा संवाद कायम किया था। किसान के मन की बात जानकर उसके अनुसार खेती, पशुपालन, मत्स्य पालन, बागवानी तथा कृषि विकास हुआ और किसान समृद्ध और खुशहाल हुआ और हजारों किसानों के बेटों को रोजगार मिला। आज की स्थिति सबके सामने है 52000 किसान मित्र बेरोजगार होकर दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। भाजपा की सरकार बनने पर किसान मित्रों को फिर से बहाल किया जाएगा।"

प्रेस वार्ता में मीडिया को संबोधित करते वीरेंद्र सिंह मस्त (फाइल फोटो)

"रासायनिक खेती को भी कम करेंगे"

पूर्व निदेशक कृषि विभाग उप्र विनय प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि "उत्तर प्रदेश में कृषि व्यवस्था में बडे बदलाव की जरूरत है, रासायनिक खेती करके किसान पूरी तरह नुकसान में है, उसे फिर से जैविक पद्धति को अपनाना होगा। इस काम में किसान मित्रों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होगी। किसान मित्र किसानों के बेटे हैं। उनके परिवारों में पहले से जैविक खेती होती रही है किसान मित्रों की बहाली करके गाय पर आधारित खेती करनी होगी। पेस्टीसाइड की जगह सप्तपर्णीय/पंचवर्णीय छिडकाव करके उन्नत खेती करना होगा नही ंतो आने वाली नस्लें कृषि योग्य भूमि और पौष्टिक अनाज से हाथ धो बैठेंगी।"

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