वामदलों की ताकत बढ़ाएंगे महिला संगठन

Update: 2016-10-20 19:45 GMT
प्रतीकात्मक फोटो

बसंत कुमार

लखनऊ। सरकारी नौकरियां महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की मांग हो या खाद्य सुरक्षा विधेयक के तहत ज़रूरतमंदों को राशन दिलाने की लड़ाई हो, दादरी में गौमांस रखने के शक में अखलाक की हत्या के खिलाफ में प्रदर्शन हो या विधवा और विकलांग को समय पर और सम्मानजनक पेंशन देने की मांग हो। आम महिलाओं की ज़िन्दगी को प्रभावित करने वाले हरेक मुद्दों पर सरकार से लड़ने और हक मांगने में हमेशा अगली कतार में कोई मिलता है तो वो हैं वामदलों का महिला संगठन। चुनाव लड़ने के सवाल पर मधु गर्ग बताती हैं कि इस बार राज्य में वामदल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। अब पार्टी तय करेंगी कि कौन-कौन चुनाव लड़ेगा। लेकिन जो कोई भी पार्टी की तरफ से मैदान में होगा, हम जनता से उसके लिए वोट मांगेगे ताकि हमारी आवाज़ विधानसभा तक पहुंचे और हम मजबूत हों।

राजनीति में रखता है दखल

वामदलों का महिला संगठन ना सिर्फ महिलाओं की हक की बात करता हैं, बल्कि राजनीति में भी ठीक-ठाक दखल रखता है। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाषनी अली उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण जगह रखती हैं। जिस प्रदेश में वामदल लम्बे समय से हाशिए पर हैं, वहीं सुभाशनी अली 1989 के लोकसभा चुनाव में कानपुर से सांसद रही थीं। उसके बाद भी सुभाशनी अली लगातार कानपुर और प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हैं। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति सीपीएम का महिला संगठन है।

हक के लिए लड़ते हैं, सत्ता के लिए नहीं

अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की प्रदेश अध्यक्ष मधु गर्ग बताती हैं कि हम लोगों की हक के लिए लड़ते हैं, आन्दोलन करते हैं, सत्ता के लिए नहीं। हम उन तमाम मुद्दों पर सवाल करते हैं जो एक आम महिला के हक के लिए ज़रूरी है। अभी हमने घरेलू महिला कामगारों के हक के लिए घरेलू महिला कामगार संगठन का निर्माण किया है।'

वोटर में तब्दील नहीं हो पाते

सीपीआई का संगठन महिला नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन वीमेन भी प्रदेश में काफी सक्रिय है। फेडेरेशन की प्रदेश अध्यक्ष उषा मिश्रा बताती हैं कि महिलाओं के मुद्दों के लिए लड़ते हम लोग हैं लेकिन पैसे, पॉवर के कारण उन महिलाओं को वोटर के रूप में तब्दील नहीं कर पाते हैं। प्रदेश की महिलाएं भले ही किसी भी पार्टी से जुडी हों, लेकिन मदद के लिए हमारे पास ही आती हैं। उषा मिश्रा आगे बताती हैं कि बाकि पार्टियां जहां मीडिया, पैसा, पॉवर और लुभावने वादे के साथ चुनाव मैदान में आती हैं, वहीं वामदल अपने सिद्धांत और मूल्यों की राजनीति करता है। लोगों को बाकी दलों के लुभावने वादे ही पसंद आते हैं।

आशियाना रेप केस के मुख्य दोषी को जेल भिजवाया

आशियाना रेप केस हो या भाजपा नेता मालती शर्मा की हत्या हो। हरेक बार वामदलों के महिला संगठनों ने ही सवाल किया और प्रदर्शन करके दोषियों को सलाखों के पीछे भिजवाया। 13 साल की मासूम लड़की के साथ बलात्कार के मुख्य आरोपी गौरव शुक्ला को सलाखों के पीछे भिजवाने का काम वाम महिला संगठनों ने ही किया।

साम्प्रदायिक ताकतों का करेंगे विरोध

नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन की प्रदेश अध्यक्ष उषा मिश्रा बताती हैं कि यूपी चुनाव में हम जहां भी वाम मोर्चा के उम्मीदवार होंगे, वहां उनको ही वोट करेंगे, लेकिन जहां उम्मीदवार नहीं होंगे, वहां सांप्रदायिक शक्तियों का विरोध करते हुए उनको वोट करेंगे, जो हमारी विचारधारा से सहमति रखते हों।

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