सतीष मिश्र की ससुराल में कभी नहीं जीता ‘हाथी’

Update: 2017-02-10 17:18 GMT
बसपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य सतीष चंद्र मिश्र की सुसराल  है कन्नौज में।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

कन्नौज। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सदस्य सतीष चंद्र मिश्र की सुसराल में कभी भी हाथी विधानसभा चुनाव में रेस नहीं जीत सका। पार्टी सुप्रीमो ने कन्नौज को फर्रूखाबाद से अलग कर नया जिला बनाया था। इसके बाद भी उनको चुनाव में जनता ने जीत का लाभ नहीं दिया।

पूरे भारत में इत्र और इतिहास की नगरी के नाम से प्रसिद्ध उत्तर प्रदेश के कन्नौज शहर में बसपा राष्ट्रीय महासचिव की ससुराल है। यहां से उनका काफी लगाव भी बताया जाता है। कई वर्षों से तकरीबन हर विधानसभा चुनाव में वह पार्टी प्रत्यािशयों के लिए वोट भी मांगने आते हैं। वर्ष 2017 में तीसरे चरण में होने जा रहे मतदान को लेकर जिले की कन्नौज सदर सुरक्षित विधानसभा और छिबरामऊ विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशियों के लिए अलग-अलग चुनावी सभाएं कर चुके हैं। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भी वह आए थे। इत्र नगरी की इन दोनों सीटों पर कभी भी बसपा के प्रत्याशी चुनाव नहीं जीते सके। बीते कई वर्षों के इतिहास को देखा जाए तो भाजपा के बाद लगातार यहां सपा का ही कब्जा रहा है। खास बात यह भी है कि फर्रूखाबाद जिले से अलग कर कन्नौज को वर्ष 1997 में बसपा सुप्रीमो मायावती ने ही जिला घोषित किया था। बावजूद इसके उनको जिला बनाने का लाभ चुनाव में नहीं मिल सका है।

जिले में प्रचार भी नहीं किया

इस बार तो बसपा सुप्रीमो ने जिले में पार्टी प्रत्याशियों के लिए कोई भी जनसभा नहीं की। छह फरवरी को उन्होंने फर्रूखाबाद जिले के कमालगंज में चुनावी सभा कर दोनों जिले के प्रत्याशियों के लिए वोट मांगे। बसपा जिलाध्यक्ष अजय भारती का कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को कई जगह चुनाव प्रचार करना है, इसलिए संयुक्त जिलों की सभा हुई है।

तिर्वा विधानसभा क्षेत्र से एक बार खुला खाता

वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में तिर्वा उस समय उमर्दा विधानसभा से बसपा प्रत्याशी कैलाश राजपूत ने चुनाव जीता था। अब तक के हुए विधानसभा चुनाव में जिले की तीनों सीटों में केवल एक बार ही उमर्दा अब तिर्वा विधानसभा क्षेत्र से बसपा ने खाता खोला है। कैलाश राजपूत इस बार भाजपा की ओर से प्रत्याशी हैं।

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