धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगने संबंधी फैसले का हो सकता है दुरुपयोग:जमात

Update: 2017-01-07 18:40 GMT
देश के सर्वोच्च न्यायालय का एक अहम फैसला आया है, जिसके अनुसार भारत में धर्म, नस्ल, जाति और भाषा को आधार मानकर वोट मांगना, भ्रष्ट आचरण माना जाएगा। फाइल फोटो

नई दिल्ली (भाषा)। जमात-ए-इस्लामी हिंद ने आज कहा कि धर्म, जाति एवं अन्य पहचानों के आधार पर वोट की अपील पर रोक संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले का पार्टियां हिंदुत्व के मुद्दे का इस्तेमाल कर दोहन कर सकती हैं।

इस संगठन के शीर्ष नेतृत्व ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भाजपा जैसी पार्टियां आगामी विधानसभा चुनावों, खासकर उत्तर प्रदेश में चुनाव में उच्चतम न्यायालय के 1995 के फैसले का इस्तेमाल कर सकती है जिसमे हिंदुत्व को जीवनशैली बताया गया है।

जमात महासचिव मोहम्मद सलीम इंजीनियर ने कहा, ‘‘इस बात की प्रबल संभावना है कि हिंदुत्व के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही पार्टियां मतदाताओं से अपनी सांप्रदायिक अपील के लिए इसे कवच के तौर पर इस्तेमाल करेगी और दावा करेंगी कि वे धर्म के आधार पर नहीं बल्कि जीवनशैली के आधार पर वोट मांग रहे हैं।''

संवाददाता सम्मेलन में जमात अध्यक्ष मौलाना सैयद जलालुद्दीन ने इन आशंकाओं पर जनविमर्श का आह्वान किया। एक बयान में इस इस्लामिक फोरम ने यह भी कहा कि यदि ऐसा तर्क अदालतों द्वारा स्वीकार किया जाता है तो इससे देश की बहुलतावादी राजसत्ता को बड़ा नुकसान पहुंचेगा एवं बहुसंख्यवाद का रास्ता खुल जाएगा।

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