बयानों को बैलेट में बदलने का खेल

Update: 2017-02-22 16:53 GMT
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

लखनऊ। “नेताजी, गुजरात बनाने के लिए छप्पन इंच का सीना चाहिये, “मैं नीची जाति से आता हूं और मैं रेलवे स्टेशन पर चाय बेचता था।” इन बयानों ने 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को बहुत लाभ पहुंचाया था। तब इन बयानों को लेकर जिस तरह से जवाब विपक्षी नेताओं ने दिये थे, फिर भाजपा के मीडिया मैनेजमेंट के बल पर मोदी लहर बनाने में मदद ली थी।

कुछ उसी तर्ज पर यूपी इलेक्शन में मोदी विवादित होने वाले बयान देकर विरोधियों को अपने जाल में फंसा रहे हैं। मोदी बोल कर जाते हैं और विरोधी उनका जवाब देते हैं। एक बयान पर दो-तीन दिन जमकर चर्चा होती है और इसके बाद में अगली जनसभा में वे नया विवादित बयान देकर जनता का ध्यान एक बार फिर से अपनी ओर खींचते हैं।

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सबसे पहले नरेंद्र मोदी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली में हुई एक जनसभा में बड़ा बयान दिया था। नरेंद्र मोदी ने इस रैली में कहा था कि लोग पूछते हैं कि “मैं क्या करता था। मैं बताता हूं कि मैं क्या करता था। मैं रेलवे स्टेशन पर चाय बेचता था। मेरी मां घरों में झाड़ू-पोछा लगाती थी। मैंने चाय बेची है मगर देश नहीं बेचा” प्रधानमंत्री के इस बयान के बाद कांग्रेस सरकार के तत्कालीन मंत्री मणिशंकर अय्यर का बयान था कि “अगर उनको चाय ही बेचना है तो वे हमारे अधिवेशन क्षेत्र के पास आ जाएं, हम उनको एक छोटी जगह चाय बेचने के लिए दे देंगे।” अय्यर का ये बयान आत्मघाती साबित हुआ था। इसके बाद में बीजेपी ने इसको मुद्दा बनाया और चाय पर चर्चा शुरू कर दी, जिससे समाज का गरीब वर्ग को जोड़ने की कोशिश की थी।

इसके बाद नरेंद्र मोदी ने मुलायम सिंह के एक बयान जवाब दिया। मुलायम ने अपनी एक जनसभा में कहा था कि, वे नरेंद्र मोदी को उत्तर प्रदेश को गुजरात नहीं बनाने देंगे। जिसके जवाब में मोदी ने उनको जवाब देते हुए कहा था कि नेताजी गुजरात बनाने के लिए “छप्पन इंच का सीना चाहिये” नरेंद्र मोदी का ये जवाब अब तक उनका सियासी ट्रेडमार्क बन गया है। नरेंद्र मोदी का तीसरा बयान उनकी 2014 में अमेठी में हुई रैली में सामने आया था। जब उन्होंने कहा कि था कि मैं नीची जाति से आता हूं। उनका ये बयान लोकसभा में यूपी के दलितों और पिछड़े वर्ग के वोटर को खूब भाया था। जिसका नतीजा ये हुआ था कि भाजपा गठबंधन को 80 में 73 सीटों पर कामयाबी मिली थी।

फिर से बयानों से राजनैतिक निशाने साधने का आगाज

नरेंद्र मोदी के ताजा बयानों को लेकर राजनैतिक विशेषज्ञ और पूर्व पीसीएस अधिकारी अष्टभुजा प्रसाद तिवारी का कहना है, “ये सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है। तीन चरणों के पूरा होने के बाद अब वे बयानों के जरिये वर्षों बाद हिंदू-मुसलमानों की बातें उठाने लगे हैं। उन्हें मालूम है कि ऐसे बयानों के पलटवार होते ही बात बढ़ेगी और उसके साथ ही बढ़ेगा वोटों का ध्रुवीकरण। जिससे पूर्वांचल का चुनाव आते-आते ये ध्रुवीकरण अपने चरम पर होगा। जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिलेगा।”

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