UPCM : हठयोग से राजयोग का नाम है योगी आदित्यनाथ

Update: 2017-03-18 21:55 GMT
योगी आदित्यनाथ बनेंगे कड़े प्रशासक !

लखनऊ। गोरखपुर के सांसद महंत योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के 32वें मुखयमंत्री होंगे। रविवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक में उनके नाम उनको मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी के नव निर्वाचित विधायकों ने चुना। 5 जून, 1972 को उत्तराखंड के गढ़वाल में राजपूत बिष्ट परिवार में पैदा हुए योगी आदित्य नाथ का पहले नाम अजय सिंह विष्ट था लेकिन नाथ संपद्राय में दीक्षित होने और सन्यास लेने के बाद उनका नाम योगी आदित्यनाथ हो गया।

गढ़वाल विश्वविद्याल से विज्ञान में स्नातक करने वाले महंत योगी आदित्यनाथ वर्तमान में गारेखपुर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी का सांसद होने के साथ नाथ संपद्राय की गोरखपुर में स्थित सबसे बड़ी पीठ और मठ गोरखनाथ मंदिर के गोरक्षपीठाधीश्वर महंत हैं। नाथ संप्रदाय की सबसे कठिन परंपरा हठयोग में दीक्षित और हठयोग स्वरूप एवं साधन, राजयोग- स्वरूप और साधना नामक किताब लिखने वाले योगी 22 साल की उम्र में 15 फरवरी 1994 को गोरखनाथ मंदिर के महंत और सांसद अवैधनाथ ने अपना उत्तराधिकारी चुना था। इससके चार साल महंत अवैधनाथ से जब राजनीति से सन्यास लिया तो उन्होंने अपने उत्तराधिकारी के रूप में गोरखुपर लोकसभा की सीट योगी आदित्यनाथ के हवाले की। मात्र 26 साल की उम्र में 12वीं लोकसभा के चुनाव साल 1998 में योगी आदित्यनाथ पहली बार गारेखपुर लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी के टिकट पर सांसद बने। इसके बाद लगातार 13वीं, 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा के चुनाव में गोरखुपर से सांसद चुने गए।

महंत योगी आदित्यनाथ हिन्दु युवा वाहिनी नामक एक संगठन के संरक्षक हैं जिसका पूर्वांचल के गांवों से लेकर शहरों तक में बड़ा जनाधार है। इसके अलावा आदित्यनाथ विश्व हिन्दू महासंघ नामक एक अंतराष्ट्रीय संस्था के अध्यक्ष हैं। इसके अलावा दर्जनों शैक्षिक और सामाजिक संस्थाओं के अध्यक्ष भी हैं। गोरखुपर में गोरखनाथ क्षेत्र में एक बड़ा चिकित्सालय भी वह चलाते हैं। अमेरिका, मलेशिया, थाईलैंड, सिंगापुर, कम्बोडिया और नेपाल की यात्रा कर चुके योगी नाथ परंपरा के सबसे बड़े संत हैं।

गोरखनाथ मंदिर से योगी को दिलाई बड़ी पहचान

गोरखनाथ मंदिर में लोगों की बहुत आस्था है. मकर संक्राति पर हर धर्म और वर्ग के लोग बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं. महंत दिग्विजयनाथ ने इस मंदिर को 52 एकड़ में फैलाया था. उन्हीं के समय गोरखनाथ मंदिर हिंदू राजनीति के महत्वपूर्ण केंद्र में बदला, जिसे बाद में महंत अवैद्यनाथ ने और आगे बढ़ाया. उनके निधन के बाद महंत योगी आदित्यनाथ इस विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

मोहन मुंडेरा कांड से काफी चर्चित हुए थे योगी

कुशीनगर ज़िले में साल 2002 में मोहन मुंडेरा कांड हुआ था। जिसके बाद योगी के नेतृत्व में दोषियों पर कार्रवाई के लिए बड़ा आंदोलन शुरू हुआ। इसके बाद पूर्वांचल में योगी एक मजबूत नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाने लगे। जनवरी 2007 में एक युवक की हत्या के बाद योगी आदित्यानाथ की हिन्दू युवा वाहिनी कार्यकर्ताओं का गोरखपुर में एक खास संपद्राय से झगड़ङा हुआ। उसके बाद हालात बिगड़ गए और प्रशासन को कर्फ़्यू लगाना पड़ा. रोक के बावजूद योगी आदित्यनाथ को सभा करने और उत्तेजक भाषण देने के आरोप में उन्हें 28 जनवरी 2007 को गिरफ़्तार कर लिया गया.

उनको गिरफ़्तार करने वाले डीएम और एसपी को दो दिन बाद ही मुलायम सिंह यादव की सरकार ने सस्पेंड कर दिया. योगी की गिरफ़्तारी के बाद कई ज़िलों में हिंसा, तोड़फोड़, आगज़नी की घटनाएं हुईं, जिनमें दो लोगों की मौत हो गई थी। अपनी गिरफ्तारी के बाद लोकसभा पहुंचरक जिसका ने लोकसभा में अपनी गिरफ्तारी घटना को बताते हुए रोया था। जिसको लेकर उस समय लोकसभा के स्पीकर सोमनाथ चटर्जी ने सांसद के साथ ऐसी घटना की कड़ी निंदा की थी।

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