ऊसर सुधार से बढ़ रहा खेती का रकबा

Update: 2016-06-15 05:30 GMT
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लखनऊ। प्रदेश में ऊसर और बीहड़ भूमि का क्षेत्रफल घट रहा है। उत्तर प्रदेश भूमि सुधार निगम और कृषि विभाग ने करीब सात लाख हेक्टेयर ऊसर और खेती के अयोग्य भूमि सुधार डाली। सुधार की गई भूमि पर अब प्रदेश में सालाना 1.88 करोड़ क्विंटल खाद्यान्न का उत्पादन लिया जा रहा है। प्रदेश सरकार ने इस वित्तीय वर्ष 20 हजार हेक्टेयर ऊसर और 10 हजार हेक्टेयर बीहड़ भूमि का सुधार लक्ष्य रखा है।

वर्ष 1993 में करीब 12.95 लाख ऊसर भूमि चिन्हित हुई थी। भूमि को सुधारने का दायित्व उत्तर प्रदेश भूमि सुधार निगम और कृषि विभाग को सौंपा गया था। योजना के तहत निगम ने विश्व बैंक पोषित तीन परियोजना के तहत करीब चार लाख हेक्टेयर भूमि का सुधार किया। इसके साथ ही कृाषि विभाग ने करीब दो लाख हेक्टेयर भूमि सुधारी।

वहीं निगम ने कानपुर नगर, इटावा और कानपुर देहात में पांच हजार हेक्टेयर बीहड़ भूमि को सुधार का लक्ष्य रखा गया था। निगम ने 18,400 हेक्टयर भूमि का सुधार कर क्षेत्र के 2.40 लाख किसानों को लाभांवित किया। भूमि सुधार निगम ने विश्व बैंक के सहयोग से पहले चरण में प्रदेश के 10 जिलों 45,000 हेक्टेयर भूमि को सुधारने का लक्ष्य रखा था। वर्ष 2001 तक चले प्रोजेक्ट के तहत निगम ने तय लक्ष्य से बढ़ कर 68,000 हेक्टेयर भूमि का सुधार किया। 

दूसरे चरण में यूरोपियन यूनियन कंट्री एसोसिटेट प्रोजेक्ट में पांच जिलों में 34,000 हेक्टेयर ऊसर भूमि सुधार का लक्ष्य के सापेक्ष एक लाख हेक्टेयर भूमि सुधारी। वहीं उत्तर प्रदेश सोडिक लैंड रिक्लेमेशन तृतीय परियोजना (सितम्बर 2009 से दिसम्बर 2017) के तहत 1।30 लाख हेक्टेयर भूमि सुधारी जानी है। 

रिपोर्टर - जसवंत सोनकर

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