वैज्ञानिकों की मदद से लोबिया उगाकर कमाएं लाखों

Update: 2016-06-28 05:30 GMT
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मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)। मिर्ज़ापुर के महोगनी गाँव के किसान केशव प्रसाद (45 वर्ष) आज अपने गाँव के लोगों के लिए उन्नत कृषक की मिसाल बने हुए हैं। उन्होंने अपने खेतों में लोबिया सब्जी की उन्नत प्रजातियों को उगाकर बढ़िया मुनाफा कमाया है। केशव की इस सफलता के पीछे बड़ी वजह रहा वाराणसी में स्थित भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर) है। 

1.5 एकड़ क्षेत्रफल में खेती करने वाले केशव कुछ समय पहले तक कम होती पैदावार की मार झेल रहे थे, जिसका उन्हें कारण तक नहीं पता था। लगातार गिरती आय से परेशान केशव ने तय किया कि वे वैज्ञानिकों की सलाह लेंगे जिसकी जानकारी उन्हें उनके एक करीबी ने दी थी।

केशव वाराणसी गए और आईआईवीआर के वैज्ञानिकों से सब्ज़ी उगाने के लिए नई उत्पादन तकनीकों के बारे में जानकारी ली। संस्थान के वैज्ञानिकों से मिलने के बाद केशव ने लोबिया की खेती करने का मन बनाया। केशव प्रसाद ने अपने खेत को आईआईवीआर के वैज्ञानिकों की देखरेख में तैयार किया। वैज्ञानिकों ने केशव प्रसाद की 1.5 हेक्टेयर भूमि पर लोबिया की दो प्रजातियों काशी उन्नति और काशी कंचन का प्रदर्शन किया। वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई विधि के अनुसार मई महीने में क्यारी बनाकर बुआई करने से लोबिया की पैदावार तेजी से बढ़ी।

केशव ने लोबिया की हरी फलियों को सही समय पर उतारकर बाजार में बेचा। बाजार में पहुंचने पर उन्हें इसका बाजार मूल्य अधिक (28 रुपए किग्रा) मिला। मूल्य घटने पर उन्होंने इसे बाजार में बेचना बंद कर दिया और इसे बीज के रूप में संरक्षित कर लिया। इन बीजों को उन्होंने 90 से 105 रुपए किलो की दर से बेचकर 0.50 लाख रुपए कमाए। खेती, परिवहन और बेचने की प्रक्रिया में कुल 40,000 रुपए की लागत आई, जबकि उसने इस दौरान 1.5 हेक्टेयर भूमि पर एकमात्र फसल लोबिया उगाकर 1.60 लाख रुपए अर्जित किए।

अब केशव प्रसाद अपने क्षेत्र का एक उन्नतशील किसान है। वह सब्ज़ी उगाकर अच्छा लाभ कमा रहा है। उसने लोबिया की पैदावार से हुए मुनाफे से दो भैंस और तीन गायें खरीदी हैं। 

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