वैश्विक तापमान के कारण अनुमान से कहीं ज़्यादा गर्म हो सकती है पृथ्वी

Update: 2016-06-26 05:30 GMT
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लंदन (भाषा)। वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक तापमान के कारण भविष्य में पृथ्वी अनुमान से कहीं ज़्यादा गर्म हो सकती है।

ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होने से वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी न सिर्फ उत्सर्जन के आकार, बल्कि वातावरण में मौजूद अतिरिक्त गैस के प्रभाव पर भी निर्भर करती है।

इसके असर को जलवायु संवेदनशीलता कहते हैं और आमतौर पर इसे वातावरण में कार्बन डाईक्साइड की मात्रा दोगुनी होने से तापमान बढ़ने के तौर पर परिभाषित किया जाता है।

जलवायु संवेदनशीलता पृथ्वी की जलवायु प्रणाली की कई संपदाओं पर निर्भर करती है। चिली की यूनिवर्सिटी ऑफ मैगलानेस के प्रोफेसर गैरी शैफर ने कहा, ‘‘शोध दिखाता है कि पिछली बार वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी के दौरान जलवायु संवेदनशीलता मौजूदा समय के मुकाबले ज़्यादा थी।

'' शैफ़र ने कहा, ‘‘यह पूरी मानवता के लिए बुरी ख़बर है कि बड़े पैमाने पर जलवायु संवेदनशीलता होने से तापमान में बढ़ोतरी तेज़ होगी।'' यह अध्ययन 5.6 करोड़ साल पहले हुए वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी के दौरान की स्थिति के आधार पर किया गया है। उस समय को ‘पालाएओसीन-एओसीन थर्मल मैक्सिमम' (पीईटीएम) के नाम से जाना जाता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि पीईटीएम से पहले तापमान 4.5 डिग्री सेल्सियस था और पीईटीएम के दौरान यह बढ़कर करीब 5.1 डिग्री सेल्सियस हो गया। मौजूदा समय में जलवायु संवेदनशीलता करीब तीन डिग्री सेल्सियस है।

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