विपक्ष ने सरकार की बैंकिंग नीतियों पर उठाया सवाल

Update: 2016-08-01 05:30 GMT
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नई दिल्ली (भाषा)। बैंकों के बढ़ते NPA पर गहरी चिंता जताते हुए लोकसभा में सोमवार विपक्ष ने सरकार की बैंकिंग नीतियों पर सवाल उठाया और साथ ही इन नीतियों को इस तरीके से सुदृढ़ बनाए जाने की मांग की कि भविष्य में विजय माल्या जैसा कोई कारोबारी बैंकों को चूना नहीं लगा सके।

इससे पूर्व वित्त मंत्री अरण जेटली ने ऋण वसूली अधिकरणों के माध्यम से बैंकों के कर्ज के लंबित मामलों के त्वरित निस्तारण के प्रावधान वाले विधेयक को चर्चा तथा पारित करने के लिए पेश किया जिसे चार विधेयकों में संशोधन के साथ लाया गया है।

जेटली ने कहा कि रिण वसूली अधिकरणों (डीआरटी) में पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक के करीब 70,000 मामले लंबित हैं और प्रस्तावित संशोधन भरपाई की प्रक्रिया का त्वरित निस्तारण सुनिश्चित करेंगे।

जेटली ने कहा कि विधेयक का उद्देश्य देश में कारोबार करना आसान बनाना है। उन्होंने कहा, “मैंने इस साल बजट में परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (ARC) के संबंध में कई सुधारों की घोषणा की थी।”  इस विधेयक को चार विधेयकों- वित्तीय आस्तियों का प्रतिभूतिकरण और पुनर्गठन तथा प्रतिभूति हित का प्रवर्तन अधिनियम, 2002, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को शोध रिण वसूली अधिनियम, 1993, भारतीय स्टांप अधिनियम, 1899 और निक्षेपागार अधिनियम, 1996 में संशोधन करके लाया गया है।

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