ये बदलाव हो सकते हैं नई कृषि बीमा योजना का हिस्सा

Update: 2016-01-07 05:30 GMT

लखनऊ। देश के कई राज्य लगातार तीन फसलों से मौसमी अनियमितताओं को शिकार हुए हैं, ऐसे में केंद्र सरकार प्राथमिकता देते हुए एक नई फसल बीमा योजना का प्रारूप तैयार कर रही है। इस नई बीमा योजना में किए जा रहे बदलावों का मुख्य उद्देश्य इसे ज्यादा से ज्यादा किसानों की पहुंच में लाना है।

सरकारी न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के अनुसार इसी सिलसिले में केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक कर उन्हें नए प्रारूप से अवगत कराया, इस नए प्रारूप के कुछ बदलाव ये हैं:

- सरकार का उद्देश्य है कि वह आने वाली खरीफ-2016-17 से नई बीमा योजना को लागू करे।

- अनाज और तिलहनी फसलों पर अधिकतम 2.5 प्रतिशत की प्रीमियम व बागवानी फसलों पर 5 प्रतिशत की प्रीमियम राशि। हालांकि कैबिनेट के भीतर कुछ लोग चाहते हैं कि प्रीमियत एक समान रूप से एक से डेढ़ प्रतिशत प्रीमियम सभी फसलों के लिए निर्धारित हो।

- मौजूदा 'संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना' में बीमा का औसत प्रीमियम 5.5 प्रतिशत है। कुछ सबसे ज्यादा नाज़ुक फसलों के लिए यह प्रीमियम 40 प्रतिशत तक भी है।

- यदि पूरे फसल क्षेत्र का 50 प्रतिशत हिस्सा लगभग 19 करोड़ 40 लाख हेक्टेयर भी बीमित किया जाता है और किसान के लिए बीमा की राशि 2.5 से 5 प्रतिशत तक तय की जाती है तो नाज़ुक फसलों के आधार पर केंद्र को हर साल 8,000 करोड़ रुपए का खर्च वहन करना होगा।

- लेकिन यदि सत-प्रतिशत किसानों के बीमा के लिए सभी फसलों के लिए प्रीमियम 1.5 प्रतिशत तय किया जाता है तो केंद्र को 11,000 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ झेलना पड़ सकता है।

- पिछले वर्ष मौजूदा योजना के तहत केवल 27 प्रतिशत फसल क्षेत्र ही बीमित किया जा सका था, जिस पर 3,150 करोड़ रुपए का खर्च आया था।

- नई बीमा योजना में फसल नुकसान का पता लगाने को अत्याधुनिक तकनीकों का भी प्रयोग किया जाएगा जिससे कि बीमा भुगतान की प्रक्रिया को तेज किया जा सके।

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