यहां नवजातों को बंधक बनाकर लिया जाता है नेग

Update: 2016-07-10 05:30 GMT
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लखनऊ। सुरक्षित प्रसव कराने के लिए प्रसूता को 1,400 रुपए सरकार देती है। अब तो घर छोड़ने के लिए सरकारी वाहन की भी व्यवस्था है। फिर भी अच्छी देखरेख के नाम पर हो रही वसूली सरकारी व्यवस्था पर भारी है।

सरकारी अस्पतालों में बच्चे के पैदा होने पर कर्मचारी उनके मां-बाप के हाथ में जब तक बच्चा नहीं देते जब तक उनको नेग के रूप में मुंह मांगी रकम नहीं मिल जाती है। इतना ही नहीं लड़का पैदा होने पर ये मांग और बढ़ जाती है और उसके बाद जब महिला वहां से डिस्जार्च होती है तब भी एक मोटी रकम की मांग की जाती है। 

इस तरह कम से कम डिलीवरी के लिए आई महिलाओं से नेग के नाम पर हजारों रुपए वसूल लिए जाते हैं। सरकारी अस्पताल में मरीजों का मुफ्त इलाज होगा, ऐसा सोचने वाले गलतफहमी में हैं। यह सिर्फ कागजों तक ही सीमित है। हकीकत यह है कि यहां इलाज के नाम पर जमकर वसूली की जाती है। क्वीन मेरी महिला अस्पताल और लोहिया अस्पतालों में डिलीवरी के लिए आई महिलाओं और उनके तीमारदारों ने नेग और अच्छी देखरेख के नाम पर हजारों रुपए वसूले जा रहे हैं और यदि प्रसव ऑपरेशन से होता है तो यह अवैध वसूली की रकम और बढ़ जाती है।

केस एक

राम मनोहर लोहिया अस्पताल गोमती नगर में खदरे से डिलीवरी के लिए आई अनीता तिवारी को बड़े ऑपरेशन से प्रसव हुआ। अनिता की सास का कहना है कि बच्चे को जब तक गोंद में नहीं दिया गया जब तक हमने उनके हाथ में पैसे नहीं रखे क्योकि लड़का पैदा हुआ था तो मांग भी बड़ी थी, लेकिन समझा-बुझा कर मामला 1500 में तय हो गया, उसके बाद अच्छी देखरेख के नाम पर भी 200 सौ रुपए वार्ड ब्वाय ने ले लिए। अभी डिस्चार्ज होना बाकी है न जाने कितना पैसा देना पड़ेगा।

केस दो

क्वीन मेरी महिला अस्पताल में डिलीवरी के लिए आई बहराइच की प्रेमा के पति अमृत लाल का आरोप है कि बच्चा नॉर्मल हो सकता था फिर भी डॉक्टर ने ऑपरेशन कर दिया। इतना ही नहीं ऑपरेशन के नाम पर और नेग के नाम पर तीन हजार रुपए वसूल लिए। छुटटी होने के वक्त हो पैसे मांगे जब तक सौ रुपए नहीं ले लिए छुट्टी नहीं दी।

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