लखनऊ। बसपा प्रमुख मायावती ने आज आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने अब तक के अपने दो वर्षों के कार्यकाल के दौरान उत्तर प्रदेश के 22 करोड़ लोगों के प्रति घोर उदासीन रवैया अपनाया है।
मायावती ने एक बयान में कहा, ‘‘(मोदी सरकार ने) जनता की उपेक्षा और उससे वादाखिलाफी की है, उसी का परिणाम है कि कल सहारनपुर में मोदी की विकास पर्व रैली में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पड़ोसी राज्य हरियाणा तथा उत्तराखण्ड से भी भीड़ जुटाने का पूरा-पूरा प्रयास किया गया।’’ उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार की दूसरी वर्षगांठ की रैली मथुरा में हुई पहली वर्षगांठ की रैली की तरह ही फीकर रही है।
मायावती ने कहा कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की जनता मोदी की बड़ी-बड़ी बातों और उनके लुभावने बहकावों में आ गई और उसने भाजपा को उसकी उम्मीद से कहीं ज्यादा सीटों से जिताकर केंद्र में उसकी पूर्ण बहुमत वाली पहली सरकार बनवा दी। ‘‘लेकिन अब मोदी सरकार के दो वर्ष पूरा हो जाने के बावजूद उत्तर प्रदेश की जनता को उनकी जरुरत की कोई बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं।’’ उन्होंने कहा कि जनता से किए गए वादे भी पूरे होते हुए कहीं नजर नहीं आ रहे हैं, आधे से ज्यादा प्रदेश सूखे का संकट झेल रहा है। ऐसे में लोगों की सहायता तो दूर उनका हाल-चाल जानने की जरुरत भी मोदी सरकार के किसी भी मंत्री ने नहीं समझी। अदालत की फटकार के बावजूद प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के मंत्रीगण केवल मीडिया में बयानबाजी ही करते रहे।
मायावती ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का कल का भाषण वास्तव में विरोधी पार्टियों को कोसने का वही पुराना आलाप था और विकास के मामले में भी काफी घिसा-पिटा सा था। इस सम्बन्ध में हकीकत तो यह है कि अपनी सरकार की दो वर्ष की विफलता व जनता से किए गए वायदों को नहीं निभा पाने से लोगों में जो व्यापक आक्रोश है, उससे ध्यान हटाने के लिए मोदी सरकार की दूसरी वर्षगांठ को सरकारी खर्च पर बड़े ताम-झाम से मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जहाँ तक सरकारी डाक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 65 साल करने की प्रधानमंत्री की घोषणा का सवाल है तो यह केवल सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने का प्रयास है क्योंकि इस प्रकार की घोषणा को लागू करने के लिए केवल एक सरकारी आदेश ही जारी करना काफी होता है।
मायावती ने कहा कि वास्तव में देश की जनता की ज्वलन्त समस्याओं जैसे महंगाई और बढ़ती बेरोजगारी पर रोक के साथ-साथ बिजली, सड़क, पानी आदि की बुनियादी सुविधाओं को उपलब्ध कराना ही असली मुद्दा है, जिसके प्रति मोदी सरकार विफल होती हुई साफ दिख रही है और जनता में इससे नाराजगी है।