लखनऊ। उत्तर प्रदेश में तैनात आईपीएस अधिकारियों में कोई भी भ्रष्ट नहीं है। एक आरटीआई के दौरान में ये जानकारी मिली है। साथ ही ये भी सामने आया है कि प्रदेश में जहां 99 आईपीएस के पद खाली है वहीं एक आईपीएस अधिकारी को एक से ज्यादा पदों की जिम्मेदारी दी गई है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा ने 12 मई 2016 को नियुक्ति विभाग उत्तर प्रदेश शासन के जनसूचना अधिकारी से आरटीआई के तहत 10 बिन्दुओं पर जानकारी मांगी थी। नियुक्ति विभाग के अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी सुभाष बाबू ने पत्र के माध्यम से जवाब देते हुये बताया कि प्रदेश में आईपीएस अधिकारियों के पद की संख्या 517 है।
इसमें 416 पदों पर आईपीएस तैनात हैं। वर्तमान में कोई भी आईपीएस निलम्बित नहीं है जबकि आईपीएस अधिकारी विजय कुमार गुप्ता एक से अतिरिक्त पदों का दायित्व सम्भाल रहे हैं। वहीं किसी भी आईपीएस अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार का कोई मुकदमा नहीं चल रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन 416 आईपीएस अधिकारियों में से न तो किसी के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की कोई जांच लंबित है और नही इनमें से किसी के भी खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति का कोई भी मामला शासन स्तर पर लंबित है।
चौंकाने वाली बात यह है कि यूपी के गृह विभाग ने जांचों में दोषी पाए गए आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए अब तक कोई भी शासनादेश जारी नहीं किया है। मानवाधिकार कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बताया कि सूबे में आईपीएस के 517 पदों में से 101 पदों के रिक्त होने और जांचों में दोषी पाए गए आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया को विनियमित करने संबंधी कोई भी शासनादेश जारी नहीं होने के मामले में देश के गृह मंत्री और प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर रिक्त पदों को शीघ्र भरने और दोषी आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया को विनियमित करने के लिए शासनादेश निर्गत करने की मांग करेंगे।