यूपी ने किसानों की इस बहुत बड़ी समस्या का हल खोज निकाला

Update: 2016-07-12 05:30 GMT
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लखनऊ। देश भर के किसानों के लिए खतौनी एक बहुत एहम दस्तावेज होता है जिसकी ज़रूरत किसान को अपने खेत से संबंधित किसी भी तरह के काम में पड़ती है। इसे प्राप्त करने के लिए किसान को मीलों दूर तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं, लंबी कतार लगानी पड़ती है। देश भर के किसानों की इस बड़ी समस्या का हल उत्तर प्रदेश ने खोज निकाला है। इससे लाखों किसानों को फायदा होगा।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राजस्व विभाग द्वारा डिजिटली हस्ताक्षरित ऑनलाइन खतौनी जारी करने की स्कीम की शुरुआत कर दी गई है। इसके माध्यम से कोई भी किसान अब पहले से डिजिटली हस्ताक्षरित खतौनी का प्रिंट आउट प्राप्त कर सकता है वो भी बस 10-15 मिनट में। 

खतौनी पहले भी ऑनलाइन देखी जा सकती थीं, लेकिन उन्हें किसान किसी आधिकारिक कार्य में प्रयोग इस लिए नहीं कर पाता था क्योंकि वे प्रमाणित नहीं होतीं थीं, प्रमाणित दस्तावेज के लिए किसान को तहसील ही जाना पड़ता था। लेकिन नई स्कीम के साथ अब ये समस्या नहीं रहेगी। नियमों में संशोधन कर अब राजस्व विभाग ने व्यवस्था कर दी है कि किसान किसी भी जन सेवा केंद्र या इंटरनेट की उपलब्धता वाले स्थान से खतौनी निकलवा सकता है जो हर सरकारी गतिविधि में मान्य होगी।

देश भर में किसानों की गाँव में कहां कितनी ज़मीन है, उसकी वर्तमान स्थिति क्या है, आदि जानकारी देने के लिए खतौनी दस्तावेज का इस्तेमाल होता है, जिसे तैयार करने का काम हर राज्य के राजस्व विभाग का होता है। 

शुरुआती दौर में डिजिटली हस्ताक्षरित खतौनी लखनऊ की पांच तहसीलों में से एक, सदर तहसील के लिए ही उपलब्ध होगी। आने वाले समय में यूपी राजस्व विभाग की इस योजना को पूरे प्रदेश में विस्तार दिया जाएगा।

ये दस्तावेज इतनी बड़ी संख्या में होते हैं कि इनका प्रबंधन देश भर के राजस्व विभागों के लिए टेढ़ी खीर रही है। इस समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार 'डिजिटल इंडिया लैंड रिकार्ड्स मॉर्डनाइजेशन प्रोग्राम' भी चला रही है। इस प्रोग्राम के बाद ही देश भर में किसानों की खेती से जुड़े दस्तावेजों कों ऑनलाइन चढ़ाने का काम शुरू हुआ।

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