लखनऊ। उत्तर प्रदेश पुिलस एक साल के ‘सजा कराओ अभियान’ के बाद अब पहले से कहीं अधिक संख्या में मुजरिमों को सजा दिला पा रही है। यह राष्ट्रीय स्तर पर दोषियों को सजा कराने की दर से अधिक है।
यूपी पुलिस ने अभियान चलाकर रुके पड़े मुकदमों में पैरवी कर दोषियों को सज़ा दिलाने की दर वर्ष 2015 में 96 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो कि राष्ट्रीय स्तर की 80 फीसदी (वर्ष 2014) से भी ज्यादा है। वर्ष 2011 तक यह 86 फीसदी थी। सजा दिलाने के मामले में गाजियाबाद अव्वल रहा, वहीं लखनऊ छठे नंबर पर रही।
पुलिस महकमे ने मामलों के फंसे रहने की एक मुख्य वजह का हल ‘सजा कराओ अभियान-2015’ में खोजा। “कई विवादों में कोर्ट तक मामला पहुंचने पर गवाह या तो बिक जाते हैं, या डर कर गवाही नहीं देते। इससे आरोपी बच निकलते हैं। गवाहों को हौसला बढ़ाने के लिए अभियोजन निदेशालय ने उनका हौसला बढ़ाते हुए उनको पुरस्कृत करने का फैसला लिया। हमने स्थानीय थाने को गवाह की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी दी गई,” पुलिस महानिदेशक (अभियोजन) डॉ. सूर्य कुमार ने गाँव कनेक्शन को बताया।
डॉ सूर्य कुमार ने कहा, “हमने उन सिपाहियों, दारोगा, जांचकर्ता, जो अच्छा काम कर रहे थे, सबूत जुटा रहे थे, उन्हें सम्मानित किया, उन्हें पुरस्कृत किया। वो जिनका काम सही नहीं था, उन्हें चेतावनी दी।’’ ‘सजा कराओ अभियान-2015’ के तहत पुलिस ने 21,041 अपराधियों को सजा दिलाई गई। इसमें 24 अपराधियों को फांसी, 1923 अपराधियों को आजीवन कारावास, 3904 अपराधियों को 10 वर्ष या उससे अधिक की सजा कराई गई। इसके साथ ही, 1585 हिस्ट्रीशीटर और सक्रिय अपराधियों को सजा हुई। जबकि 90,704 अपराधियों की जमानत निरस्त कराई गई। वहीं 2,96,955 अपराधियों के खिलाफ वारंट जारी हुआ। सजा पाने में सबसे ज्यादा हत्या के आरोपी 728 रहे, बलात्कार के आरोपी 226, दहेज हत्या के आरोपी 114, हत्या का प्रयास करने के मामले में 60 जबकि अपहरण करने के मामले में 41 आरोपियों को सजा दिलाई गई।
डीजी डॉ. सूर्य कुमार ने बताया कि हमने जो फैसले आए हैं, उन्हें फेसबुक, ट्वीटर आदि के माध्यम से प्रचार किया ताकि गवाहों को हौसला मिले, साथ ही, आखिर तक सजा देने वाले गवाहों को समारोह आयोजित कर पुरस्कृत किया। इसी अभियान के तहत हमने उन जजों के समर्थन में भी कोर्ट को लिखा जिन्होंने त्वरित गति से फैसले दिए थे, उनका भी हौंसला बढ़ाया।
रिपोर्टर - गणेश जी वर्मा